ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी
देश में शहरों की साफ-सफाई को लेकर के प्रतियोगिताएं की जा रही हैं और शहरों की साफ सफाई करने में वहां के प्राधिकरण, नगर निगम, आदि संस्था जुटी हुई है। हर भरसक प्रयास किए जा रहे हैं शहर को साफ सुथरा बनाने के लिए। इसी कड़ी में हाइटेक सिटी के नाम से मशहूर ग्रेटर नोएडा शहर में भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण शहर की साफ सफाई पर खूब पैसा खर्च कर रहा है। लेकिन कुछ अधिकारी और ठेकेदारों की सांठगांठ के कारण साफ-सफाई सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह जाती है।
खेड़ी गांव में 10 से ज्यादा सफाई कर्मचारी नियुक्त है लेकिन आते हैं सिर्फ दो से तीन
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अंतर्गत सैकड़ों गांव आते हैं जिन की साफ सफाई की जिम्मेदारी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के स्वास्थ्य विभाग की है और प्राधिकरण की तरफ से हर गांव के लिए जनसंख्या के हिसाब से सफाई कर्मचारी नियुक्त किए हुए हैं। अगर हम बात करें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले गांव खेड़ी की तो इस गांव की जनसंख्या लगभग 7 से 8 हजार लोगों की है और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने खेड़ी गांव में 10 से ज्यादा सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति की हुई है। लेकिन गांव में सफाई करने के लिए सिर्फ दो से 3 लोग ही आते हैं। बाकी 7 से 8 लोगों का पैसा कहां जा रहा है प्राधिकरण के अधिकारियों को इसका जवाब देना होगा?
प्राधिकरण के अधिकारी और ठेकेदार के भ्रष्टाचार के कारण गंदगी में रहने के लिए मजबूर लोग
गांव की सफाई के नाम पर हो रहे घोटाले की जांच होनी चाहिए। अधिकारी और ठेकेदारों की सांठगांठ के कारण गांव की सफाई नहीं हो पा रही है। महीने में सिर्फ एक से दो बार ही सफाई कर्मचारी नजर आते हैं। आखिर गांव की साफ सफाई के नाम पर जो प्राधिकरण से पैसा आ रहा है वह पैसा किन-किन लोगों की जेबों में जा रहा है यह जांच का विषय है।
प्राधिकरण के अधिकारियों की उदासीनता के कारण गांव के लोग गंदगी में रहने के लिए मजबूर है। गंदगी के कारण गांव में बीमारियां फैलती हैं मच्छर और अन्य खतरनाक जीव उत्पन्न होते हैं। जबकि प्राधिकरण के बड़े-बड़े अधिकारी सफाई व्यवस्था के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं करते हैं। लेकिन जमीन पर कुछ भी नहीं दिखाई देता है। दिखती है तो सिर्फ गंदगी से अटी हुई नालिया, रास्तों पर गंदगी के ढेर, भिन्न-भिन्न आते हुए मच्छर और फैलती हुई बीमारियां।
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