ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले गांव के किसानों के लीज बैक के 533 प्रकरणों में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा पिछले काफी समय से जांच की जा रही थी जिसकी अध्यक्षता यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी कर रहे थे जिसकी विशेष जांच दल ने अपनी पूरी रिपोर्ट अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह को सोप दी।
दोषी अधिकारी और कर्मचारियों पर होगी कार्रवाई
विशेष जांच दल द्वारा जो रिपोर्ट बनाई गई है। उसमें 533 में से 296 प्रकरणों को प्लीज बैक का पत्र पाया है। जबकि बचे हुए प्रकरणों को अपात्र माना है और उनमें धांधली करके पात्र बनाने की कोशिश की जा रही थी उन सभी को एसआईटी ने निरस्त करने की सिफारिश की है और साथ ही अनियमितताओं में लिप्त अधिकारी और कर्मचारियों को चिन्हित उनके नाम पदनाम सहित विवरण एवं उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही किए जाने हेतु गठित कर शासन को उपलब्ध कराया जाए।
आबादी भूखंडों की भी हो एसआईटी जांच
यह तो मात्र 533 प्रकरणों का हाल है अगर पात्रता के 19000 से ज्यादा प्रकरणों की जांच की जाए। तो उनमें भी सैकड़ों प्रकरणों में अनियमिताएं मिलेगी जिसमें ऐसे भी मामले सामने आएंगे जिन लोगों के नाम रीट में नहीं थे उन्हें भी 10% आबादी भूखंड आवंटित किए गए संस्थाओं के नाम पर भी आबादी भूखंड आवंटित किए गए अपात्र लोगों को भी आबादी भूखंड आवंटित किए गए। कुछ प्रकरणों में पात्रता का अनुमोदन करते समय पर निवास स्थान ही नहीं अंकित किया गया। इनकी जांच अगर एसआईटी से होती है तो सैकड़ों प्रकरणों में फर्जीवाड़ा सामने आ जाएगा।
जिसने चाही जांच करनी उसी पर लगे आरोप
पूर्व मैं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के भूलेख विभाग में तैनात एक कर्मचारी द्वारा ऐसे अपात्र प्रकरणों की जांच की जा रही थी तो उसे पर अनाप-शनाप आरोप लगा करके विभाग से हटवा दिया गया।
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