ग्रेटर नोएडा में जहाँ लगने थे उद्योग, वहा बन रहे है विला और कॉलोनी

ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को एक प्लानिंग के तहत बसाया गया था। जिसका मास्टर प्लान बनाया गया था मास्टर प्लान में इंडस्ट्रीज, रेजिडेंशियल, कमर्शियल सभी के लिए अलग-अलग लोकेशंस निश्चित थी और उसी के तहत शहर को डेवलप करना था। लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की उदासीनता के कारण प्राधिकरण भूमि का अधिग्रहण नहीं कर पाया और उसकी योजनाएं परवाना नहीं चढ़ पाई।

इसके बाद कॉलोनाइजरों ने ग्रेटर नोएडा को अपना गड बना लिया और बहुत ही बड़े स्तर पर अवैध कलानिया बननी शुरू हो गई। कुछ गांव तो पूरी तरह कॉलोनाइजरों के कब्जे में है वहां पर प्राधिकरण के विकास कार्यों के लिए कोई जगह नहीं बची है। जैसे सुनपुरा, भोला रावल, वैदपुरा, भनौता, खेड़ी, तिलपता, आमका आदि। लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अभी कुंभकरण की नींद सोया हुआ है जो जगह उद्योग लगाने के लिए निश्चित की गई थी उस भूमि पर अब अवैध कॉलोनी बन रही है प्राधिकरण की तरफ से सिर्फ खानापूर्ति के लिए कार्रवाई की जाती है लेकिन असल में होता कुछ नहीं है गरीब और भोली भाली जनता को भी कॉलोनाइजर गुमराह करके लूट रहे हैं।

प्राधिकरण के बड़े अधिकारियों को इसका संज्ञान लेते हुए इन पर कार्रवाई करनी चाहिए और जो भूमि जिस कार्य के लिए आरक्षित है उस भूमि पर वही कार्य किया जाए। एक तरफ तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी विदेश में रोड शो करके अपने क्षेत्र के लिए इन्वेस्टमेंट लेकर के आ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ जिस जगह पर वह इन्वेस्टमेंट होना है उस जगह पर अवैध निर्माण जोरो से चल रहा है। ऐसे में क्या यह माना जाए की सब खानापूर्ति चल रही है असल में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कोई योजना ही नहीं है सभी योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित है।


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