ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लेखपालों ने बड़े-बड़े कारनामे में किए हैं। भ्रष्टाचार करने के लिए यह लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बड़े अधिकारियों पर जो आरोप लग रहे हैं वह इन्हीं के कारण लग रहे हैं। भूमि का सबसे बड़ा जानकारी लेखपाल को ही माना जाता है और जमीनों के साथ खेल भी यही करते हैं। ऐसा ही एक खेल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लेखपाल ने किया है सालों से श्रीपाल लेखपाल के पद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में ही जमा हुआ है। इसने प्राधिकरण में कई घोटालों अंजाम दिया है यहाँ रहते हुए करोड़ों की सम्पत्ति इकठी कर ली है।
मृतक किसान का फर्जी तरीके से उठाया मुआवजा
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में आने वाले गांव जोनसमाना खसरा संख्या – 361 में मृतक किसान की जमीन का फर्जी तरीके से मुआवजा उठाया गया था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मृतक के स्थान पर किसी दूसरे फर्जी व्यक्ति के नाम पर प्राधिकरण से करोड़ों रुपए मुआवजा उठाया गया है। ऐसे अनेकों फर्जीवाड़े इस लेखपाल के द्वारा किए गए हैं। जोनसमाना में हुए फर्जीवाड़ी की जांच होनी चाहिए। आखिरकार कैसे मृतक किसान के स्थान पर किसी दूसरे फर्जी किसान के द्वारा उठा लिया गया।
ग्रेनो प्राधिकरण के बाबू ने कृषि जमीन खरीद कर लीज बैक कराई
एक तरफ जहां ग्रेटर नोएडा के किसान धरना दे रहे हैं। प्राधिकरण के चक्कर पर चक्कर काट रहे हैं। अधिकारियों के हाथ जोड़ रहे हैं लेकिन उनकी फाइल एक जगह से दूसरी जगह के लिए हल नहीं पा रही है। वहीं दूसरी तरफ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कर्मचारियों के गलत कार्य भी गोली की स्पीड से होते हैं। किसान लीज बैक करने के लिए दर – दर की ठोकरे खा रहे हैं। प्राधिकरण में तैनात बाबू राकेश गौतम ने इसका लाभ लिया।
किसानों का यह आरोप है कि प्राधिकरण का एक कर्मचारी जिसने वर्ष 2009 में थापखेड़ा गांव में खसरा संख्या – 106, 3500 वर्ग मीटर कृषि की जमीन खरीदी और जमीन को पहले आबादी में दर्ज कराया। फिर उसकी प्राधिकरण से ही लीजबैक की कार्रवाई कराई। ऐसे कार्य सिर्फ प्राधिकरण में ही हो सकते हैं और इस लीजबैक में प्राधिकरण के इसी लेखपाल का हाथ है।
किसानों के कार्य हो नहीं रहे हैं और कर्मचारी खुले तौर पर भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे है। यह प्राधिकरण के अधिकारियों के लिए भी चुनौती है की कैसे एक कर्मचारी खुलेआम भ्रष्टाचार करके प्राधिकरण के सिस्टम से खेल रहे हैं। इसकी कब जांच होगी और कब इस पर कार्रवाई होगी। लीज बैक की जाँच कर निरस्त हो।
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