ग्रेटर नोएडा, दिव्यांशु ठाकुर
ग्रेनो स्थित शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ डेंटल साइंसेज ने इंडियन सोसाइटी ऑफ पीरियडोनटोलॉजी और आईएसपी अध्ययन समूह के साथ मिलकर पीरियडोनटोलॉजी पर एक महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया। इस सेमिनार में बीडीएस के अंतिम वर्ष के छात्र और विभिन्न डेंटल प्रशिक्षु उत्साहपूर्वक शामिल हुए।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य उभरते हुए दंत चिकित्सा पेशेवरों को पीरियडोनटोलॉजी के क्षेत्र में विस्तृत जानकारी और गहन समझ प्रदान करना था। स्कूल ऑफ डेंटल साइंसेज के डीन, डॉ. एम सिद्धार्थ ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के सेमिनार का आयोजन करना आवश्यक है ताकि नए दंत चिकित्सक पीरियडोनटाइटिस जैसी आम लेकिन गंभीर समस्या के बारे में जागरूक हो सकें।
पीरियडोनटाइटिस एक ऐसा संक्रमण है जो मसूड़ों को प्रभावित करता है और यदि समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह जबड़े की हड्डी को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसके प्रमुख कारणों में खराब मौखिक स्वच्छता शामिल है। इस बीमारी के लक्षणों में सूजन, लाल और दर्द भरे मसूड़े, तथा मसूड़ों से खून आना शामिल हैं। अगर इस संक्रमण को अनदेखा किया जाए तो यह दांतों को खोखला कर सकता है और साथ ही हृदय और फेफड़ों की बीमारियों का भी खतरा बढ़ा सकता है।
पीरियडोनटाइटिस का इलाज संभव है। इसके लिए सबसे पहले मसूड़ों और दांतों के आस-पास की खाली जगहों की सफाई की जाती है, जिससे हड्डी को और नुकसान से बचाया जा सके। गंभीर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता भी पड़ सकती है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि मरीज नियमित रूप से दंत चिकित्सक से परामर्श लें और मौखिक स्वच्छता बनाए रखें ताकि इस बीमारी से बचा जा सके।
सेमिनार में छात्रों और प्रशिक्षुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और पीरियडोनटोलॉजी के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की। इस आयोजन ने उन्हें व्यावहारिक ज्ञान और कौशल प्रदान किए, जिससे वे अपने पेशे में और भी कुशल बन सकें। डॉ. सिद्धार्थ ने इस तरह के और भी शैक्षणिक और व्यावहारिक कार्यक्रमों के आयोजन की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि दंत चिकित्सा के क्षेत्र में नए पेशेवर और भी बेहतर तरीके से तैयार हो सकें और अपने मरीजों को सर्वोत्तम उपचार प्रदान कर सकें।
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