आठ हज़ार मीटर से छोटे औद्योगिक प्लॉट नीलामी से अलॉट करने की तैयारी, MSME और स्टार्टअप उद्यमियों को इस क्षेत्र से खत्म करना चाहते हैं प्राधिकरण?

  • क्या प्राधिकरण प्रॉपर्टी डीलर बन गए हैं? अगर औद्योगिक प्लॉट इन्वेस्टर खरीदेंगे तो उद्योग कौन लगाएगा?

ग्रेटर नोएडा। कपिल कुमार

गौतम बुध नगर में इस समय मुख्य तीन औद्योगिक प्राधिकरण कार्य कर रहे हैं। जिनमें सबसे पहले नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (NOIDA) की स्थापना हुई थी। उसके बाद ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GREATER NOIDA), और सबसे आखिर में यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) की स्थापना हुई। जैसे कि इन प्राधिकरण के नाम से ही पता लग रहा है कि इनकी स्थापना क्षेत्र में उद्योगों (INDUSTRIAL) के विकास के लिए की गई थी। जिसमें इन्हें जिले में ज्यादा से ज्यादा उद्योग स्थापित करने थे और उन्हें बेहतर से बेहतर सुविधाएं प्रदान करनी थी लेकिन अगर हम आज की स्थिति पर बात करें तो यह तीनों प्राधिकरण अपने जन्म के उद्देश्य को भूल चुके हैं और प्रॉपर्टी डीलर बन गए है इनका उदेश्य ज़मीन महँगे रेट पर बेचना रह गया है। सरकार 8 हज़ार मी. से छोटे औद्योगिक प्लाट को नीलामी (E- AUCTION) से अलॉट करेगी और 8 हज़ार मी. से बड़े प्लाट को इंटरव्यू (INTERVIEW) के आधार पर अलॉट करेगी।

कुछ समय से प्राधिकरण में औद्योगिक प्लॉट बेचने का एक नया चलन चला है जिसमें औद्योगिक प्लॉटों की बोली लगाई जाती है या कहे तो नीलामी के जरिए औद्योगिक प्लॉट बेचने शुरू कर दिया है जो कि उद्योगों के लिए सबसे बुरे दिन है। औद्योगिक प्लॉट नीलामी के जरिए बेचे जाना एक काला अध्याय साबित होगा, प्राधिकरण की स्थापना उद्योगों के लिए सस्ती दर पर जमीन उपलब्ध कराना था। ना कि महंगे रेट पर जमीन बेचना।

नीलामी के जरिए औद्योगिक प्लॉट बेचने की प्रथा यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने शुरू की थी। जिसे देखा देख दूसरे प्राधिकरण में भी इसकी शुरुआत हो गई है। औद्योगिक विकास प्राधिकरण का उद्देश्य महंगे दामों पर जमीन बेचना ही है क्या? प्राधिकरणों की स्थापना प्रॉपर्टी डीलिंग के काम के लिए की गई थी किसान से सस्ते दाम पर जमीन लेकर नीलामी के जरिए महंगे से महंगे दाम पर बेचना एकमात्र उद्देश्य प्राधिकरणों का रह गया है प्राधिकरणों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी औद्योगिक प्लॉट महंगे दामों पर बेचकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं जबकि उन्हें यह भी मालूम होना चाहिए उद्योग लगाने वाले कभी भी महंगे दामों पर जमीन नहीं खरीदते हैं। बल्कि उन्हें काम रेट पर ज़मीन दी जाती है तब उसपर उद्योग लगता है जिस से लोगो को रोजगार और सरकार को टैक्स मिलता है उद्योग से ही शहर का विकास होता है। छोटे उद्यमी नीलामी में प्लॉट नहीं ले पाते है और कैसे हम स्टार्टअप इंडिया की बात करेंगे।

नीलामी के माध्यम से जो औद्योगिक प्लॉट बेचे जा रहे हैं उन्हें 75% इन्वेस्टर खरीद रहे हैं।

प्राधिकरणों के द्वारा औद्योगिक प्लॉट जो नीलामी माध्यम से बेचे जा रहे हैं उद्यमों का कहना है कि उन्हें खरीदने वाले 75% लोग इन्वेस्टर है जो अपना पैसा बढ़ाने के लिए यह प्लॉट खरीद रहे हैं अगर प्लॉट इन्वेस्टर खरीदेंगे तो उद्योग कौन लगाएगा। क्षेत्र के लोगों को रोजगार कैसे मिलेगा क्षेत्र का विकास कैसे होगा?

उत्तर प्रदेश सरकार को औद्योगिक प्लॉटों के लिए नीलामी प्रक्रिया पर रोक लगा देनी चाहिए। अगर हमें सही मायने में उद्योग स्थापित करने है। अगर ये औद्योगिक प्लॉटों में नीलामी प्रक्रिया बंद नहीं हुई तो भविष्य में इसके बड़े नुकसान होगा। जमीन तो महंगे रेटों पर बिक जाएगी लेकिन उद्योग कौन चलाएगा सरकार को टैक्स कैसे मिलेगा।


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