नोेएडा। दिव्यांशु ठाकुर
शरीर के सही कार्य के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति जरूरी होती है, लेकिन कई बार सांस लेने में दिक्कतें सामने आ सकती हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सांस फूलने की समस्या को डिस्पेनिया कहा जाता है, जिसमें फेफड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और छाती में जकड़न, हांफने या अतिरिक्त मेहनत की आवश्यकता महसूस हो सकती है। यह समस्या दिल और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का संकेत हो सकती है।
सांस की तकलीफ अस्थमा, एलर्जी, या तीव्र व्यायाम से हो सकती है, परंतु जब यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो गंभीर रोगों का संकेत हो सकती है। अस्थमा, जिसमें फेफड़ों के वायुमार्ग प्रभावित होते हैं, और सीओपीडी जैसी बीमारियों में भी सांस फूलने की समस्या होती है। इनके लिए समय पर इलाज अत्यंत आवश्यक है।
इसके अलावा, दिल से जुड़ी समस्याएं भी सांस लेने में कठिनाई का कारण बन सकती हैं। कमजोर या क्षतिग्रस्त हृदय, सही से रक्त पंप नहीं कर पाता, जिससे फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो सकता है। कार्डियोमायोपैथी, हार्ट फेलियर, और पेरीकार्डिटिस जैसी हृदय संबंधी समस्याएं इस स्थिति का कारण हो सकती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी सांस फूलने का कारण बन सकती हैं। पैनिक अटैक, स्ट्रेस, और एंग्जाइटी जैसी समस्याओं में सांस तेज हो जाती है और सांस लेने में कठिनाई होती है। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना जरूरी है, ताकि समय रहते इसका निदान और उपचार किया जा सके। सांस फूलने की समस्या को नजरअंदाज न करें और समय रहते विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।
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