केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में असाध्य रूप से बीमार मरीजों के लिए जीवन रक्षक प्रणाली हटाने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश देशभर के 25 चिकित्सकों के संयुक्त विचार-विमर्श के आधार पर बनाए गए हैं। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य उन मरीजों को राहत प्रदान करना है, जिनका इलाज प्रभावी नहीं है।
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की कैंसर विभाग की प्रमुख डॉ. सुषमा भटनागर ने इस फैसले को सकारात्मक बताया है। उन्होंने कहा कि यह कदम असाध्य मरीजों के अधिकारों की सुरक्षा करता है और उन्हें अपनी इच्छानुसार जीवन को समाप्त करने का अवसर प्रदान करता है। सरकार के इस प्रयास को स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है, जो मरीजों को सम्मान और स्वायत्तता देने की दिशा में एक कदम है.