प्रतिनियुक्ति पर आए कर्मचारियों को वापस क्यों नहीं भेजा जा रहा है, कार्यकाल की हो समीक्षा

ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में एक अजीब सी स्थिति बनी हुई है जो अधिकारी कर्मचारी एक बार यहां आ जाता है वह यहां से जाने का नाम नहीं लेता, ऐसी क्या खासियत है इस प्राधिकरण में, जो दूसरे विभागों से आए अधिकारी अपने मूल विभाग में दोबारा वापस नहीं जाना चाहते। जब की सैलरी और अन्य सुविधाएं तो उन्हें समान ही मिलती है दोनों विभागों में, ऐसा क्या खास है ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में जो यहां रुकने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं।

3 वर्ष का प्रतिनियुक्ति का समय हुआ पूर्ण

लगभग 3 वर्ष पहले ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में लोक निर्माण विभाग से 3 वर्ष की प्रतिनियुक्ति के लिए प्रबंधक और सहायक प्रबंधक आए थे। जिनका समय पूरा हो चुका है लेकिन अभी भी यह लोग ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में ही कार्य कर रहे हैं और खूब फाइलों पर साइन किए जा रहे हैं। जबकि नियम अनुसार इन्हें समय पूरा होने के उपरांत अपने मूल विभाग में ज्वाइन करना चाहिए था। प्रतिनियुक्ति पर आए सभी अधिकारी कर्मचारियों का समय सितंबर माह में ही पूरा हो चुका है।

प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों के कार्यकाल की समीक्षा की जाए

दूसरे विभागों से प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी कर्मचारी यहां के विकास में रुचि नहीं लेते हैं। ज्यादातर अधिकारियों का टारगेट पैसा कमाना ही होता है नाम मात्र के ही कुछ लोग होते हैं जो जिम्मेदारी के साथ काम करते हैं। इन सभी के कार्य की समीक्षा हो, तैनाती के दौरान क्या-क्या दायित्व इनके द्वारा संभाले गए। किन-किन जगह पर इन्होंने कार्य किया। ज्वाइन करने से पहले और बाद की स्थिति क्या है विकास कार्यों में इनका कितना सहयोग रहा और साथ ही प्राधिकरण को नुकसान पहुंचाने में भी कितना सहयोग रहा यह जांच का विषय है।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में प्रतिनियुक्ति पर आए ज्यादातर अधिकारी प्राधिकरण में मर्ज होने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं हर स्तर तक जाने के लिए तैयार है कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहते, आखिरकार इनका ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से इतना मोह किस बात का है।


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