Diwali 2024: गोवर्धन पर्वत का श्राप: पुलस्त्य ऋषि की कथा

गोवर्धन पर्वत, जो हर साल गोवर्धन पूजा के अवसर पर श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बनता है, आज एक अनोखी कथा से जुड़ा हुआ है। भारतीय पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा इस वर्ष 2 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गोवर्धन पर्वत की ऊंचाई धीरे-धीरे कम हो रही है? इसका कारण एक श्राप है जो पुलस्त्य ऋषि द्वारा दिया गया था।

प्राचीन कथाओं के अनुसार, जब पुलस्त्य ऋषि गोवर्धन पर्वत के पास पहुंचे, तो उसकी सुंदरता ने उन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने द्रोणाचल पर्वत से निवेदन किया कि गोवर्धन को काशी में स्थापित करने की अनुमति दी जाए। द्रोणाचल ने दुखी होकर अनुमति दी, लेकिन गोवर्धन ने शर्त रखी कि वह जहां रखा जाएगा, वहीं स्थापित हो जाएगा। ऋषि ने तपोबल से गोवर्धन को उठाने का वचन दिया।

जब ऋषि ब्रज पहुंचे, तो गोवर्धन ने राधा-कृष्ण की लीलाओं के विचार में मनन करना शुरू किया। इस दौरान ऋषि को विश्राम की आवश्यकता महसूस हुई। जब उन्होंने गोवर्धन को वापस उठाने का प्रयास किया, तो पर्वत ने कहा कि वह वहीं रहेगा। इससे क्रोधित होकर ऋषि ने श्राप दिया कि गोवर्धन की ऊंचाई प्रतिदिन कम होती जाएगी और वह एक दिन धरती में समाहित हो जाएगा। आज यह मान्यता है कि गोवर्धन पर्वत का क्रमिक क्षरण कलयुग के अंत तक जारी रहेगा। इस पौराणिक कथा के माध्यम से श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करते हैं, और पर्वत की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है।


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