प्रबंधक को प्राधिकरण में रोकने के लिए शासन से आ रही है सिफारिश, प्रतिनियुक्ति का समय समाप्त

ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में जो अधिकारी एक बार आ जाता है वह फिर यहां से जाने की नहीं सोचता। ऐसा ही एक प्रबंधक (MANAGER) है जो लगभग 3 वर्ष पहले लोक निर्माण विभाग (PWD) से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में प्रतिनियुक्ति पर आया था। प्रतिनियुक्ति (DEPUTATION) का समय बीत जाने के बाद भी प्राधिकरण में ही जमा हुआ है। जिसकी पहुंच शासन में बैठे अधिकारियों से है लखनऊ से इसे रोकने के लिए सिफारिश की जा रही है। जबकि इनके साथ लोक निर्माण विभाग से आये एक प्रबंधक अपने मूल विभाग चले गए है।

प्राधिकरण के पास है प्रबंधकों की पर्याप्त संख्या

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में इस समय प्रबंधों की संख्या पर्याप्त है। क्योंकि शासन ने बड़ी संख्या में प्रबंधक की भर्ती करके प्राधिकरण के लिए प्रबंधक भेजें थे। दूसरे विभागों के अधिकारी प्राधिकरण के प्रबंधकों का हक छीन रहे हैं जिनकी प्रतिनियुक्ति का समय पूरा हो गया है अभी तक वह लोग प्राधिकरण में कार्य कर रहे हैं फाइलों पर साइन कर रहे हैं आखिर कैसे कोई समय पूरा होने के बाद भी कार्य कर सकता है। इनका प्राधिकरण के विकास कार्य से कोई लेना देना नहीं है इनको अपनी जेब से मतलब है। प्राधिकरण के प्रबंधकों को दरकिनार कर इनको प्रभारी वरिष्ठ प्रबंधक बनाया था।

लोक निर्माण विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आए इस प्रबंधक पर अवैध निर्माण करने के खूब आरोप लगे, जहां-जहां इस अधिकारी की तैनाती रही, वहीं पर अवैध निर्माण तेजी से हुआ, इसके कार्यकाल की जांच होना भी जरूरी है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस प्रबंधक की पहुंच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रबंधक को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में रुकवाने के लिए शासन से भी सिफारिश आ रही है इसी कारण भ्रष्टाचार के आरोपी के बाद भी प्राधिकरण में जमे हुए हैं।


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