दीपोत्सव का पावन पर्व दीपावली इस वर्ष 31 अक्तूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। धनतेरस के साथ शुरू हुए इस पर्व का उत्सव इस बार विशेष है, क्योंकि कार्तिक अमावस्या की तिथि दो दिन पड़ने के कारण दीपावली का पर्व छह दिनों तक चलेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इस दिन विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन की परंपरा है। कहा जाता है कि जब धरती पर अंधकार फैला हुआ था, तब मां लक्ष्मी ने प्रकाश के साथ प्रकट होकर संसार को रोशन किया। यही कारण है कि दीपावली पर दीप जलाने और लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है।
लक्ष्मी पूजन का महत्व और विधि
दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इस दिन भगवान गणेश, कुबेर देवता और मां सरस्वती की भी पूजा की जाती है। लक्ष्मी पूजन का आयोजन प्रदोष काल में करना सर्वोत्तम माना गया है। मां लक्ष्मी की कृपा से जीवन में सुख, संपन्नता और धन की कोई कमी नहीं रहती।
लक्ष्मी पूजन की विधि:
- साफ-सफाई: दिवाली से पहले और दिन में एक बार घर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
- दरवाजे की सजावट: मुख्य दरवाजे पर रंगोली और तोरण बनाएं, और स्वास्तिक और शुभ-लाभ के चिन्ह बनाएं।
- पूजन सामग्री: पूर्व दिशा में एक चौकी रखें, उस पर लाल कपड़ा बिछाएं, और गणेश व लक्ष्मी की मूर्तियां स्थापित करें।
- पूजन का आरंभ: पूजा का संकल्प लें और गणेश की स्तुति करें, फिर मां लक्ष्मी को सामग्री अर्पित करें।
- आरती और मंत्र: पूजा के बाद आरती करें और दीपक जलाएं।
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:
- 31 अक्तूबर:
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 06:45 से 08:30 तक
- प्रदोष काल: 05:48 से 08:21
- गोधूलि मुहूर्त: 05:36 से 06:02
- 01 नवंबर:
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 05:36 से 06:16
- प्रदोष काल: 05:36 से 08:11
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