ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में सीवर और जल विभाग के कार्यों में वित्तीय अनियमितता, एसीईओ ने दिए जांच के आदेश

ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के जल और सीवर विभाग में जल निगम के माध्यम से कराए जा रहे कार्यों में वित्तीय अनियमितताओं का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक, प्राधिकरण द्वारा जल निगम को भुगतान किए जाते हैं, जो जल और सीवर संबंधी परियोजनाओं को ठेकेदारों के माध्यम से पूरा करता है। इन कार्यों के लिए जल निगम को करोड़ों रुपये का एडवांस भी जारी किया गया है, लेकिन जांच में सामने आया है कि इन भुगतानों में आवश्यक माप-तौल और निरीक्षण की कमी पाई गई है, जिससे कार्य की गुणवत्ता और वित्तीय पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे हैं।

अनियमितता का खुलासा: स्थल निरीक्षण में पाई गईं खामियां

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हाल ही में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (ACEO) प्रेरणा सिंह ने सीवर विभाग के कार्यों की समीक्षा के दौरान निरीक्षण किया। इस दौरान उन्हें कई ऐसी खामियां मिलीं, जिनसे यह संदेह उत्पन्न हुआ कि कुछ कार्य बिना उचित माप-तौल के ही पूर्ण मान लिया गया और इसके आधार पर ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया। निरीक्षण के बाद, ACEO ने संबंधित अधिकारियों को फटकार लगाई और स्पष्ट निर्देश दिए कि बिना उचित माप-तौल के किसी भी कार्य का भुगतान नहीं किया जाएगा।

मेजरमेंट रिकॉर्ड और M.B फाइल में संकलन की कमी

नियमों के अनुसार, किसी भी सरकारी संस्था द्वारा कराए जाने वाले कार्यों का भुगतान तभी किया जाता है, जब उस कार्य की माप-तौल सही प्रकार से की गई हो और इसे माप बुक (Measurement Book) में संकलित किया गया हो। यह प्रक्रिया कार्य की पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक होती है। लेकिन अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी के निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि कई मामलों में माप-तौल को अनदेखा करते हुए ही भुगतान जारी कर दिया गया था। M.B फाइल में कार्य के संकलन की कमी और मेजरमेंट रिकॉर्ड का अभाव स्पष्ट रूप से जल निगम और प्राधिकरण के अधिकारियों की लापरवाही को दर्शाता है।

अग्रिम भुगतान और कार्यों की प्रगति की जांच के आदेश

अधिकारी ने निर्देश दिए हैं कि जल निगम द्वारा कराए जा रहे प्रत्येक कार्य की माप-तौल की समीक्षा की जाए और भविष्य में बिना मेजरमेंट के किसी भी भुगतान को रोका जाए। इसके अतिरिक्त, पूर्व में जल निगम को किए गए एडवांस भुगतान के आधार पर अब तक कितना कार्य किया गया है, इसकी जांच भी कराने का निर्देश दिया गया है। इन कदमों से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्राधिकरण के फंड का सदुपयोग हो और वित्तीय अनियमितताओं पर नियंत्रण पाया जा सके।

प्राधिकरण को होगा आर्थिक लाभ

इस सख्त कार्रवाई से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को वित्तीय अनुशासन में सुधार आने की संभावना है। प्राधिकरण के अधिकारी और जल निगम के कर्मचारी अब सुनिश्चित करेंगे कि प्रत्येक कार्य का भुगतान माप-तौल के बाद ही किया जाए। इसके अतिरिक्त, जो कार्य समय पर पूरे नहीं किए जाते या जिनकी गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं, उन पर अंकुश लगेगा। इस कदम से प्राधिकरण की वित्तीय स्थिति मजबूत होने के साथ-साथ कार्यों की गुणवत्ता में भी सुधार आने की उम्मीद है।

इस सख्त कार्रवाई से निश्चित रूप से प्राधिकरण में वित्तीय अनुशासन और कार्य गुणवत्ता में सुधार आने की उम्मीद है। हालाँकि, इसके चलते कार्यों में देरी, समन्वय में बाधा, और अधिकारियों के बीच संभावित तनाव जैसी चुनौतियां भी हैं। जल निगम से कार्य कराना प्राधिकरण के लिए समय, गुणवत्ता और वित्तीय प्रबंधन के संदर्भ में एक जटिल प्रक्रिया बन गया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्राधिकरण इन चुनौतियों का सामना कैसे करता है और परियोजनाओं को सुचारू रूप से कैसे आगे बढ़ाता है।


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