ग्रेटर नोएडा।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में हाल ही में डीएससी रोड पर जलभराव की समस्या को लेकर एक आदेश जारी किया गया, जिसमें आउटसोर्स स्टाफ को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया। यह आदेश उस समय आया जब सोशल मीडिया पर एक ट्वीट वायरल हुआ, जिसमें इस जलभराव समस्या का जिक्र था। आदेश में आरोप लगाया गया कि संबंधित कर्मचारियों ने अनुबंधित फर्म और उच्च अधिकारियों के साथ समन्वय में लापरवाही बरती, जिसके कारण साइट पर जलभराव की गंभीर समस्या उत्पन्न हुई।
उनका कहना है कि यह घटनाक्रम ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार को उजागर करता है। इन कर्मचारियों पर बिना किसी स्पष्ट स्पष्टीकरण के तुरंत कार्रवाई की गई, जबकि उनके पास न तो निर्णय लेने का अधिकार था और न ही किसी तरह की साइनिंग पावर। इसके बावजूद, प्राधिकरण ने इन कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया और समस्या का पूरा ठीकरा उनके सिर पर फोड़ दिया।
यह सवाल उठता है कि जब समस्या का हल केवल इन आउटसोर्स कर्मियों पर निर्भर नहीं था, तो उच्च अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? सहायक प्रबंधक, प्रबंधक और वरिष्ठ प्रबंधक, जो इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उनसे संबंधित कोई कार्रवाई नहीं की गई। जब काम सही होता है, तो श्रेय स्थायी कर्मचारियों को मिलता है, लेकिन जब कुछ गलत होता है, तो पूरी जिम्मेदारी आउटसोर्सिंग कर्मचारियों पर डाल दी जाती है
यह घटनाक्रम प्राधिकरण की कार्यप्रणाली में एक गंभीर खामी को उजागर करता है। अगर प्राधिकरण को एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण कार्यसंस्कृति बनानी है, तो उसे आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ समान व्यवहार करना होगा। सभी कर्मचारियों को समान जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
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