Myopia: सेहत पर गंभीर खतरा, मायोपिया के बढ़ते मामले चिंता का विषय

Myopia

Myopia: मौजूदा दौर में मोबाइल और डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक उपयोग स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर उम्र के लोग स्क्रीन टाइम बढ़ने के कारण कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, घंटों तक मोबाइल पर रील्स स्क्रॉल करना, वीडियो देखना या गेम खेलते रहना, लोगों में शारीरिक निष्क्रियता को बढ़ावा देता है, जिससे मोटापा, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, स्क्रीन टाइम का अधिक प्रभाव ब्रेन हेल्थ पर भी पड़ता है, जिससे एकाग्रता की कमी और तनाव जैसी मानसिक समस्याएं बढ़ रही हैं।

Myopia: बच्चों में बढ़ रहा मायोपिया का खतरा

नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि स्क्रीन टाइम के बढ़ने से बच्चों और युवाओं में निकट दृष्टिदोष (मायोपिया) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मायोपिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें पास की चीजें स्पष्ट दिखाई देती हैं, लेकिन दूर की चीजें धुंधली नजर आती हैं। हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया कि जो लोग प्रतिदिन एक घंटे से अधिक स्क्रीन का उपयोग करते हैं, उनमें मायोपिया का खतरा 21% तक बढ़ सकता है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थाल्मोलॉजी के अनुसार, वर्तमान में हर तीन में से एक बच्चा Myopia से पीड़ित है, और यदि रोकथाम के उपाय नहीं किए गए, तो 2050 तक 40% बच्चों में यह समस्या देखी जा सकती है।

स्क्रीन टाइम को सीमित करने के उपाय

विशेषज्ञों का सुझाव है कि बच्चों और बड़ों को स्क्रीन टाइम को सीमित करना चाहिए। पढ़ाई या काम के दौरान स्क्रीन का उपयोग करने के बाद आंखों को पर्याप्त आराम देना जरूरी है। डिजिटल डिवाइस के बजाय बाहरी खेल-कूद और फिजिकल एक्टिविटी को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ब्लू लाइट को कम करने के लिए स्क्रीन फिल्टर और एंटी-ग्लेयर ग्लास का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा, बच्चों को आउटडोर एक्टिविटी में शामिल करना और पढ़ाई के लिए पारंपरिक किताबों का उपयोग करना आंखों (Myopia) की सेहत के लिए लाभदायक साबित हो सकता है।


Discover more from Noida Views

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related posts

Leave a Comment