Supreme Court: ‘अफवाहों’ से जुड़ा नहीं है दिल्ली हाईकोर्ट जज का तबादला! जाने पूरी खबर

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Supreme Court ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति Yashwant Verma के निवास पर हुई एक ‘घटना’ को लेकर फैलाई जा रही ‘अफवाहें’ निराधार हैं। कोर्ट ने कहा कि जस्टिस वर्मा के तबादले का प्रस्ताव पूरी तरह से कॉलेजियम की प्रक्रिया के तहत किया गया है और इसका इस ‘घटना’ से कोई संबंध नहीं है। इससे पहले मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि उनके सरकारी आवास में आग लगने के बाद बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी, जिसके चलते तबादले की अटकलें तेज हो गई थीं।

Supreme Court: बयान में साफ की ये बात 

सुप्रीम कोर्ट के बयान में स्पष्ट किया गया कि दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.के. उपाध्याय ने इस घटना की जानकारी मिलने के बाद आंतरिक जांच शुरू कर दी थी। यह जांच सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की 20 मार्च की बैठक से पहले ही शुरू हो चुकी थी। जांच रिपोर्ट 21 मार्च को भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंपी गई, जिसे आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए परखा जाएगा। बयान में यह भी कहा गया कि जस्टिस Yashwant Verma को उनके मूल हाईकोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव स्वतंत्र रूप से विचाराधीन है और इसे Supreme Court के सलाहकार न्यायाधीशों, संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और स्वयं न्यायमूर्ति वर्मा से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के बाद ही अंतिम रूप दिया जाएगा।

कौन है यशवंत वर्मा? 

न्यायमूर्ति Yashwant Verma 1992 में रीवा विश्वविद्यालय से कानून स्नातक हुए थे और उसी वर्ष वकालत शुरू की थी। उन्होंने संवैधानिक, औद्योगिक विवाद, कॉर्पोरेट, कराधान और पर्यावरण संबंधी मामलों में विशेषज्ञता हासिल की। अक्टूबर 2014 में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और फरवरी 2016 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। इसके बाद अक्टूबर 2021 में वे दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने। बता दे कि Supreme Court के बयान के बाद चर्चा में आए यसवंत वर्मा  न्यायपालिका में अपने योगदान के साथ वे विशेष रूप से इलाहाबाद हाईकोर्ट के विशेष वकील के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।


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