Waqf Amendment Bill 2025: लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पेश होने से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने कड़ा विरोध जताया है। बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मोहम्मद फजुलर्रहीम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को कमजोर करने वाला बताया। उन्होंने सरकार से इसे तत्काल वापस लेने की मांग की। उनका कहना था कि इस विधेयक के लागू होने से वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन मुस्लिमों के हाथ से निकलकर सरकार के नियंत्रण में चला जाएगा, जिससे वक्फ व्यवस्था पूरी तरह प्रभावित होगी।
Waqf Amendment Bill 2025: इन धाराओं पर चल रहा है विवाद
AIMPLB ने बिल की कई धाराओं पर आपत्ति जताई है। नए प्रावधानों के अनुसार, वक्फ बोर्ड के CEO पद पर अब मुस्लिम व्यक्ति की अनिवार्यता नहीं रहेगी और वक्फ संपत्तियों का पूरा नियंत्रण सरकार के पास होगा। इसके अलावा, वक्फ मामलों में शामिल वकील का मुस्लिम होना अनिवार्य कर दिया गया है। सबसे विवादित धारा 3C(2) के तहत, जब तक अधिकारी कोई निर्णय नहीं लेता, वक्फ संपत्ति को सरकारी संपत्ति माना जाएगा। इसके अतिरिक्त, जो लोग 12 वर्षों से किसी वक्फ संपत्ति पर काबिज हैं, वे ही वहां बने रहेंगे और दफा 104 को समाप्त कर दिया गया है।
JPC की भूमिका पर वक्फ ने जताई आपत्ती
बता दे कि Waqf Amendment Bill 2025 में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की भूमिका पर भी AIMPLB ने कड़ी आपत्ति जताई है। मोहम्मद फजुलर्रहीम ने आरोप लगाया कि JPC ने इस मामले को और अधिक जटिल बना दिया है और इसमें एक सरकारी अधिकारी को शामिल करने से वह हमेशा सरकार के पक्ष में ही फैसला देगा। उन्होंने JPC को मुस्लिम समुदाय के साथ धोखा बताया और कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने की साजिश है, जिससे मुस्लिम समाज को बड़ा नुकसान होगा। AIMPLB ने सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की मांग की है।
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