उत्तर प्रदेश सरकार ने आउटसोर्स कर्मचारियों की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राज्य में “यूपी आउटसोर्स सेवा निगम” का गठन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना और सेवा प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है।
प्रदेश में फिलहाल 6 लाख से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं, जो अब तक एजेंसियों की दया पर निर्भर रहते थे। उन्हें तय घंटे से अधिक कार्य करने पर भी ओवरटाइम या अतिरिक्त भुगतान नहीं मिलता था। नए निगम के तहत श्रम नियमावली के प्रावधानों को कड़ाई से लागू किया जाएगा। तय किया गया है कि किसी भी कर्मचारी से बिना भुगतान के अतिरिक्त काम नहीं लिया जाएगा। एजेंसियों की संख्या को भी सीमित किया जाएगा ताकि जवाबदेही तय की जा सके। प्रस्ताव के अनुसार, पूरे प्रदेश को 18 मंडलों में बांटकर केवल तीन प्रमुख एजेंसियों का चयन किया जाएगा, जिनमें से प्रत्येक को छह मंडलों की जिम्मेदारी दी जाएगी।
निगम के तहत वेतन भुगतान की प्रक्रिया को भी व्यवस्थित किया गया है। कर्मचारियों का कार्यदिवस हर महीने की 21 तारीख से 20 तारीख तक माना जाएगा और 5 तारीख तक वेतन उनके खातों में भेजना अनिवार्य होगा। ईपीएफ और ईएसआई की राशि भी इसी समय जमा करानी होगी। इसके अतिरिक्त, कर्मचारियों को 30 लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा, पेंशन और विधवा या माता-पिता को मासिक पेंशन जैसी सुविधाएं मिलेंगी। इस पहल से कर्मचारियों को न केवल आर्थिक सुरक्षा मिलेगी, बल्कि उनकी नौकरी भी स्थिर और सुरक्षित होगी।
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