Iran-Israel: पश्चिम एशिया में इस्राइल और ईरान के बीच चल रहे भीषण संघर्ष ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। युद्ध के पांचवें दिन तक दोनों देशों में भारी तबाही देखने को मिली है, जिससे भारत भी अछूता नहीं रह सकता। भारत सरकार ने हालात की गंभीरता को देखते हुए ईरान में फंसे 110 छात्रों को सुरक्षित आर्मेनिया के रास्ते निकाल लिया है। वहीं, तेहरान में मौजूद भारतीयों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है और दूतावास की ओर से आपात हेल्पलाइन भी जारी की गई है।4
Iran-Israel: यहाँ हो रहा सबसे ज्यादा असर
इस संघर्ष का सबसे बड़ा असर कच्चे तेल की कीमतों पर देखने को मिल सकता है। ईरान से तेल आपूर्ति रुकने और होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने की धमकी ने ओपेक देशों पर दबाव बढ़ा दिया है। इससे ब्रेंट क्रूड की कीमतें 74-75 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक है। भारत, जो अपनी ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा इस क्षेत्र से पूरा करता है, उसकी अर्थव्यवस्था पर यह संकट प्रत्यक्ष प्रभाव डालेगा।
व्यापार पर भी पड़ रहा गहरा असर
जानकारी के लिए बता दे कि Iran-Israel युद्ध का असर सिर्फ ऊर्जा ही नहीं, भारत के व्यापार और उड्डयन क्षेत्र पर भी संकट गहराया है। भारत का यूरोप और अमेरिका से लगभग 80% माल व्यापार लाल सागर और होर्मुज जलडमरूमध्य से होता है, जो इस संघर्ष से प्रभावित हो सकता है। वहीं, एयरस्पेस बंद होने के चलते दिल्ली-लंदन जैसे मार्गों की उड़ानों का समय 45 से 90 मिनट तक बढ़ गया है, जिससे विमानन कंपनियों की लागत और किराया दोनों बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह युद्ध भारत के लिए आर्थिक और रणनीतिक दोनों मोर्चों पर चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है.
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