- क्या लघु उद्योग बोली लगाकर जमीन खरीद सकते हैं?
- प्राधिकरण की प्राथमिकता होनी चाहिए औद्योगिक जमीन सस्ती दर पर आवंटित करना।
- सबसे ज्यादा टैक्स देने वाले उद्योगों को, सुविधा के नाम पर गड्ढे वाली सड़कें।
ग्रेटर नोएडा (कपिल कुमार)
यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा औद्योगिक भूखंडों को नीलामी के तहत दोगुने से भी ज्यादा कीमत पर आवंटित करने पर वाहवाही लूटी जा रही है 6 भूखंडों का जो आरक्षित मूल्य था वह 71.48 करोड़ था लेकिन इन भूखंडों को यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा नीलामी के तहत 140.07 करोड रुपए में बेचे और इस पर यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा खुशी जाहिर की जा रही है मीडिया में खबरें प्रकाशित करवाई जा रही है।
क्या यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण की स्थापना जमीन बेचने के लिए हुई थी?
गौतम बुध नगर में 4 औद्योगिक विकास प्राधिकरण इस समय कार्य कर रहे हैं और इनकी स्थापना सरकार द्वारा उद्योगों का विकास करने के लिए की गई थी छोटे-बड़े उद्योग यहां लगाए जा सके। उन्हें सारी सुविधाएं दी जाए जिससे आसानी से वो अपना कार्य करें क्षेत्र के लोगों को रोजगार दें, प्रदेश और देश की प्रगति में अपना योगदान दें, लेकिन बड़े दुख की बात है औद्योगिक विकास प्राधिकरण अपनी स्थापना के उद्देश्य को ही भूल चुके हैं और प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करना शुरू कर दिया है औद्योगिक भूखंडों को भी बोली लगाकर बेचना शुरू कर दिया है औद्योगिक भूखंडों को उद्योगपति ना खरीद कर इन्वेस्टर खरीद रहे हैं।
क्या लघु उद्योग बोली लगाकर जमीन खरीद सकते हैं?
लघु और मध्यम उद्योगों के पास इतनी पूंजी नहीं होती है कि वह लोग पहले बोली लगाकर के जमीन खरीदे, फिर अपना सेटअप लगाए और उसके बाद उसको चलाने में पैसा लगाएं, देश और प्रदेश के विकास में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की ही है देश की करीब 12 करोड़ लोगों की आजीविका इसी क्षेत्र पर निर्भर करती है एमएसएमई सेक्टर देश में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया है लेकिन अगर छोटे उद्योगों को सस्ते रेट पर जमीन नहीं मिलेगी तो उद्योग कैसे लगाएंगे।
प्राधिकरण की प्राथमिकता होनी चाहिए औद्योगिक जमीन सस्ती दर पर आवंटित करना।
नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण या यमुना प्राधिकरण इन सभी प्राधिकरण की स्थापना औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए की गई थी लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि प्राधिकरण अपनी स्थापना के उद्देश्य को भूल गया है प्राधिकरण का काम कमाना करना नहीं है बेहतर और सुनियोजित विकास करना है अगर उद्योगों को सस्ती दर पर जमीन आवंटित होगी तो उद्यमियों को उद्योग चलाने में आसानी होगी वह अपनी इस पूंजी का इस्तेमाल अपनी मशीन खरीदने और अन्य जगहों पर खर्च कर सकता है जिससे युवाओं को रोजगार दे सकता है, प्राधिकरण को उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए।
सबसे ज्यादा टैक्स देने वाले उद्योगों को, सुविधा के नाम पर गड्ढे वाली सड़कें।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग सबसे ज्यादा पैसा टैक्स के रूप में सरकार को देते, और सबसे ज्यादा रोजगार देते हैं शहर के विकास में सबसे ज्यादा अहम योगदान इन्हीं का है लेकिन इन्हें सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है अच्छे रोड सबसे पहला अधिकार है लेकिन इनके रोड की हालत खराब देखो बड़े-बड़े गड्ढे पानी भरे हुए, बदले में इनसे डेवलपमेंट चार्ज भी लिया जाता है और इनसे संबंधित ज्यादातर अधिकारी उनसे काम करने के पैसे मांगता है।

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