रफाल डील पर विपक्ष की घेरेबंदी के बीच फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने बड़ा खुलासा किया है। ओलांद ने कहा है कि रफाल सौदे में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को फ्रांस ने नहीं चुना था। उन्होंने दावा है कि रिलायंस डिफेंस का नाम भारत सरकार की तरफ से सुझाया गया था। ओलांद ने कहा कि फ्रांस की रक्षा कंपनी दसाल्ट के पास कोई विकल्प नहीं था इसलिए हमने वही कंपनी का चुनाव किया जिसका नाम भारत की तरफ से सुझाया गया था। बता दें कि ओलांद का दावा सरकार के उस दावे को खारिज करती है जिसमें कहा गया था कि दसाल्ट और रिलायंस के बीच यह समझौता एक कमर्शल पैक्ट था जो कि दो प्राइवेट फर्म के बीच हुआ था।
वरिष्ठ वकील और स्वराज अभियान के नेता प्रशांत भूषण मे कहा कि पीएम मोदी बताएं यह सेटिंग कैसी हुई। ट्विटर पर पीएम मोदी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि अंबानी को पार्टनर चुनने में फ्रांस की भूमिका नहीं है। प्रशांत भूषण मे पूछा है कि क्या आपने ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस की सिफारिश की थी। क्या यह भी गुप्त मोदीजी है? उधर, मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस रफाल मुद्दे पर लगातार पीएम मोदी को घेर रही है।
फ्रांस की मीडिया ने भी उठाया था सवाल
अगस्त में एक प्रमुख अखबार ने सवाल उठाते हुए लिखा था कि हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की जगह अंबानी की कंपनी को कैसे यह डील दे दी गई। अखबार का कहना था कि साल 2007 में शुरू हुई डील से हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को 2015 में कैसे बाहर कर दिया गया और निजी क्षेत्र की कंपनी रिलायंस डिफेंस को इस समझौते में कैसे शामिल किया गया।
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