नोएडा। तुस्याना में हुए अरबों रुपये की जमीन के फर्जीवाड़े में लैंड विभाग में पूर्व में तैनात एक अधिकारी की भूमिका भी जांच में संदिग्ध मिली है। अधिकारी वर्तमान में भी एक महत्वपूर्ण पद पर तैनात हैं। हाल ही में ग्रेटर नोएडा व लखनऊ में हुई एसआइटी की दो महत्वपूर्ण बैठक के बाद मिले अहम सबूतों से एसआइटी की गिरफ्त में वह अधिकारी भी आ सकते हैं।
प्राधिकरण में तैनात कुछ अन्य कर्मचारियों पर भी गाज गिरनी तय मानी जा रही है। जांच में मिले सबूतों के आधार पर शासन स्तर से जल्द बड़ी कार्रवाई हो सकती है। ज्ञात हो कि तुस्याना मामले की शिकायत के बाद प्रमुख सचिव सुधीर गर्ग ने राजस्व परिषद अध्यक्ष के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया था। जिसमें मंडलायुक्त मेरठ मंडल व अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ जोन सदस्य थे। मामले में कमेटी की लगभग सात से आठ बैठक हो चुकी है। दो बैठक हाल ही में हुई है।
तुस्याना प्रकरण की जांच कर रही एसआइटी की टीम 1990 के बाद बाद ही प्रकरण के एक-एक कागज खंगाल रही है। जिन लोगों ने मामले की शिकायत की थी उन्होंने ने भी कई सबूत सौंपे हैं। प्रकरण में नियमों से इतर जमीन खरीद कर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण व लैंड विभाग के अधिकारियों से मिलकर करोड़ों रुपये का मुआवजा भी उठाया गया था।
सूत्रों का दावा है कि चल रही जांच में मिला है कि एक व्यक्ति ने लैंड विभाग में आपत्ति लगाई थी कि मुआवजा गलत प्रकार से उठाया जा रहा है। आपत्ति की जांच करने की बजाए विभाग में तैनात अधिकारी से उसे खारिज कर दिया। आपत्ति खारजि करने के कुछ दिन बाद ही करोड़ों रुपये का मुआवजा भी दे दिया गया।
अभी तक प्रकरण में प्राइम लोकेशन पर छह प्रतिशत जमीन आवंटित करने के मामले में भाजपा एमएलसी नरेंद्र भाटी के भाई कैलाश भाटी सहित तीन लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। तीनों जेल में है। मामले में प्राधिकरण में तैनात कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका भी मिली है, टीम ने उनके खिलाफ भी सभी सबूत एकत्र कर लिए हैं।
टेक्नोलाजी पार्क के नाम पर हुआ था फर्जीवाड़ा
तुस्याना में फर्जीवाड़े की रूपरेखा 1985 में रखी थी। शासन को एक प्रस्ताव भेजा गया था कि तुस्याना में विभिन्न सुविधाओं से युक्त टेक्नोलाजी पार्क तैयार करेंगे। सुविधाएं लेकर 200 एकड़ जमीन खरीदी गई थी। टेक्नोलाजी पार्क तैयार नहीं किया, बाद में प्राधिकरण से जमीन का मुआवजा उठाया गया और योजना के तहत छह प्रतिशत का भूखंड भी प्राप्त किया गया।
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