ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी
दिल्ली के कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में हादसा होने के बाद से लगातार कोचिंग सेंटर्स पर कार्रवाई की जा रही है। आखिरकार प्रशासन और अन्य प्राधिकरण हादसा होने के बाद ही क्यों जागते हैं। जबकि यह सब उन्हें पहले से पता होता है। यही हाल नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अस्पताल का है। यहां के सभी अस्पतालों में चाहे वह बड़े हो या छोटे हो, बेसमेंट में ओपीडी या लैब चल रही है प्राधिकरण का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है।
अस्पतालों के बेसमेंट में चल रही है ओपीडी सर्विस फ्लोर पर बेड
प्राधिकरण से पास नक्शा के अनुसार अस्पतालों के भवन में बेसमेंट फ्लोर पार्किंग के लिए होता है। साथ ही बिल्डिंग में एक फ्लोर सर्विस एरिया के लिए होता है जहां पर बिजली के उपकरण, डीजी सेट, ए सी प्लांट आदि इंस्टॉल किए जाते हैं। जबकि अस्पतालों के दुवारा बेसमेंट एरिया का इस्तेमाल ओपीडी या लैब के लिए किया जा रहा है हॉस्पिटलों के सर्विस फ्लोर पर भी मरीज के लिए बेड लगाए गए हैं और वहां पर उनका इलाज किया जा रहा है। यह नियम के खिलाफ है।
जबकि नोएडा, ग्रेटर नोएडा के बड़े-बड़े अस्पतालों के भी ओपीडी बेसमेंट एरिया में ही चल रहे हैं और प्राधिकरणों की तरफ से इन पर कोई भी कार्रवाई नहीं की जाती है। क्या प्रशासन और प्राधिकरण किसी बड़े हद से का इंतजार कर रहे हैं आखिर क्यों समय रहते कार्रवाई नहीं की जाती। प्राधिकरणों के नियम सबके लिए समान नहीं होते क्या?
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