नोएडा।दिव्यांशु ठाकुर
मानसून के मौसम में मच्छरों से फैलने वाले रोगों का खतरा काफी बढ़ जाता है, और हाल ही की रिपोर्टों के अनुसार, कई राज्यों में डेंगू का प्रकोप बढ़ गया है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल के अलावा पूर्वी राज्यों में भी डेंगू के मामलों में वृद्धि देखी गई है। इस साल कर्नाटक में डेंगू के 10,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से आठ मरीजों की मौत हो चुकी है। दिल्ली, राजस्थान और गुजरात में भी डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी की खबरें आई हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, मानसून के दौरान डेंगू के साथ-साथ मच्छरों द्वारा फैलने वाली अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है, जिसमें येलो फीवर भी शामिल है। येलो फीवर एक गंभीर और संभावित रूप से घातक बीमारी है, जो एडीज एजिप्टी मच्छरों द्वारा फैलती है, जैसे कि डेंगू और जीका वायरस। येलो फीवर के गंभीर रूप लेने का जोखिम होता है और इसके शिकार होने वाले 30 से 50 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो सकती है। आइए जानते हैं कि येलो फीवर क्यों इतना खतरनाक है और इससे बचाव के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
येलो फीवर: परिचय
येलो फीवर वायरस (फ्लेविवायरस) के कारण होता है और यह संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में यह बीमारी नहीं फैलती है। इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इस बुखार के कारण त्वचा का रंग पीला पड़ने (पीलिया) का खतरा हो सकता है। संक्रमित व्यक्तियों में तेज बुखार के साथ पीलिया का जोखिम बढ़ जाता है।
डॉक्टरों के अनुसार, समय पर लक्षणों की पहचान और इलाज करना आवश्यक है। इलाज में देरी से रोग गंभीर रूप ले सकता है।
येलो फीवर के लक्षण
येलो फीवर के लक्षण संक्रमण के 3 से 6 दिन बाद दिखाई देते हैं। इसके शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं, जिनमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, और ठंड लगना शामिल हो सकते हैं। गंभीर मामलों में जोड़ों में दर्द, पीलिया, भूख न लगना, कंपकंपी, और पीठ दर्द की समस्याएं हो सकती हैं।
यदि इलाज में देर की जाए, तो पेशाब की समस्या, उल्टी (कभी-कभी खून के साथ), हृदय गति में असामान्यता, दौरे, और नाक-मुंह से खून आने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
येलो फीवर का इलाज और बचाव
येलो फीवर का कोई विशेष इलाज नहीं है। उपचार में लक्षणों का प्रबंधन और संक्रमण से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के उपाय किए जाते हैं। येलो फीवर से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है। 17D नामक टीका इस रोग के खिलाफ काफी प्रभावी माना जाता है। मच्छरों के काटने से बचने के उपाय भी इस रोग से सुरक्षा में मदद कर सकते हैं।
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