क्या है अधिवक्ता चैंबर विवाद?

कुछ दिवस पहले बार एसोसिएशन गौतम बुद्ध नगर द्वारा 512 अधिवक्ताओं को 256 चैंबर अदालत परिसर में ही नवनिर्मित मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में आवंटित किए गए अर्थात चैंबर जॉइंट नेचर के है 2 अधिवक्ता एक चेंबर में अपनी प्रेक्टिस कर सकते हैं स्थान व संसाधनों के सीमित होने से ऐसा करना उपयोगी भी है।

इससे पूर्व चैंबर आवंटन एक दशक पहले हुआ था वह सभी चैंबर भूतल पर स्थित है उस आवंटन में 900 से अधिक अधिवक्ताओं को चैंबर मिले थे यद्यपि नियोजन व आर्किटेक्चर की दृष्टि से वह चैंबर उतने उपयुक्त नहीं थे। अधिवक्ता के लिए चेंबर उसकी कर्मस्थली होता है विधि व्यवसाय के लिए जो पात्रता निर्धारित होती ऐसी कोई स्पष्ट पात्रता नियम समुह चेंबर आवंटन के लिए देश की किसी भी बार में नहीं है।

सदविवेक सामान्य सूचना के आधार पर लंबे समय से चेंबर के लिए प्रतीक्षारत अधिवक्ता को जो नियमित वर्ष भर प्रैक्टिस करते है उनको चेंबर आवंटन में प्राथमिकता दी जाती है इन्हीं प्राथमिकताओं के आधार पर कुछ दिन पहले संसाधनों को देखते हुए प्राथमिकता पात्रता के आधार पर पारदर्शी रीति से चैंबर आवंटन गौतम बुद्ध नगर की बार में हुआ।

फिर भी सैकड़ो अधिवक्ता चैंबर से वंचित रह गए। बार के इंटरनल सर्वे के अनुसार इनमें से अधिकांश अधिवक्ता नियमित विधिक व्यवसाय में नहीं थे यदाकदा ही उनकी बार में उपस्थिति देखी जाती थी। ग्रेटर नोएडा जहां वाणिज्यिक दफ्तरों की किराए की दर उच्च हैं यदि एक अदद चैंबर किसी भी व्यक्ति को मिले तो कोई भी व्यक्ति अपनी इस इच्छा का परित्याग नहीं करेगा। बार द्वारा जिन अधिवक्ताओं को चेंबर का आवंटन हुआ वह औसत 10 वर्षों से अधिक प्रतीक्षारत थे अपने व्यवसाय में नियमित थी। शेष जो अधिवक्ता वंचित रह गए उनका नामांकन दो या तीन वर्ष पूर्व ही हुआ था ऐसे में उन्हें बार पर विश्वास धैर्य रखना चाहिए मल्टी स्टोरी बिल्डिंग को अनेक चरणों में विस्तारित किया जा सकता है।

भविष्य में उनका चैंबर मिलने की पूरी पूरी संभावना है क्योंकि जिन्हें आज चैंबर मिला है वह दशकों से प्रतीक्षरत कर रहे थे।

इसी बार में प्रेक्टिस करने वाले मेरे एक अधिवक्ता मित्र भाई हैं प्रथम बार जब चैंबर आवंटन हुआ था वह चैंबर पाने की पात्रता रखते थे उन्हें चैंबर नहीं मिला उन्होंने सत्याग्रह का रास्ता अपनाया वर्षा हो चाहे आंधी या तूफान सर्दी गर्मी वह खुले आसमान में अपनी प्रैक्टिस करते रहे इस बार उनको चैंबर आवंटन हो गया है। इस चरण के चैंबर आवंटन में वर्तमान बार के युवा प्रतिनिधि पदाधिकारियों ने ऐसे बहुत से पात्र अधिवक्ताओं को चैंबर देकर उनके हितों संरक्षण किया है। यह सराहनीय है।

किसी भी बार का चैंबर आवंटन एक ही चरण में पूर्ण नहीं हो सकता। अर्थशास्त्र में मांग आपूर्ति में जो अंतर होता है वही अंतर अधिवक्ताओं की संख्या उपलब्ध चैंबरों की संख्या में बना रहता है। देश के सैकड़ो गौतम बुध नगर से भी प्राचीन अधीनस्थ न्यायालयों की बार में यहां तक की उच्च न्यायालयों में भी चैंबरों की पूर्ति अधिवक्ताओं की संख्या के सापेक्ष नहीं हो पाती।

कुछ अधिवक्ताओं का सुझाव इस संबंध में यह आ रहा है कि प्रत्येक दो अधिवक्ता पर एक चेंबर का आवंटन हुआ है क्यों न 4 अधिवक्ताओं पर एक चेंबर का आवंटन किया जाए। यह सुझाव व्यावहारिक नहीं है एक चेंबर चार अधिवक्ताओं को आवंटित करना कहीं ना कहीं भावी व्यैक्तिक संघर्ष को जन्म देगा। ऐसा करने पर प्रत्येक अधिवक्ता की स्टेशनरी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस फर्नीचर आदि को उसमें स्थापित नहीं किया जा सकता।

गौतम बुद्ध नगर में प्रशासनिक न्यायिक सेक्टर में इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने की जिम्मेदारी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की है ऐसे में प्राधिकरण को बार के साथ मिलकर या आगामी बार के नेतृत्व के साथ मिलकर चैंबर निर्माण को लेकर नई कार्य योजना पर कार्य शुरू कर देना चाहिए। अधिवक्ताओं का दबाव समूह प्राधिकरण व न्याय विभाग पर लक्षित रहना चाहिए ना कि आपसी संघर्ष में चेंबर आवंटन जैसी विषय को निर्वाचन का मुद्दा नहीं बनना चाहिए। इससे अधिवक्ता हित व विशेष तौर पर युवा अधिवक्ताओं की हानि होती है वरिष्ठ अधिवक्ता जिनके पास पहले से ही डबल चैंबर है और उनके चेंबर में यदि समुचित स्थान उपलब्ध है तो वह बड़ा हृदय दिखाते हुए ऐसे चैंबरहीन अधिवक्ताओं को अपना स्पेस उपलब्ध करा सकते हैं इससे एक अच्छा सकारात्मक संदेश जाएगा।

लेखक आर्य सागर खारी
स्वतंत्र विचारक व सूचना का अधिकार कार्यकर्ता है


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