गणेश उत्सव का देशभर में जोर-शोर से आयोजन किया जा रहा है। हर घर, मोहल्ले और इलाके में गणेश प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, जिनकी भव्य पूजा-अर्चना हो रही है। इस पर्व का समापन 17 सितंबर को मूर्ति विसर्जन के साथ होगा। गणेश विसर्जन की परंपरा महाराष्ट्र से शुरू हुई मानी जाती है। मान्यता है कि भगवान गणेश, जो विघ्नहर्ता कहलाते हैं, सभी विघ्नों का नाश कर अपने लोक को लौट जाते हैं। विसर्जन का धार्मिक संदेश यह है कि जीवन अस्थायी है और अंत में सब परमात्मा में विलीन हो जाता है।सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाने की परंपरा लोकमान्य तिलक ने 1893 में शुरू की थी, जिसका उद्देश्य समाज को एकजुट कर ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों में जागरूकता फैलाना था। धार्मिक दृष्टि से यह माना जाता है कि गणेश जी कुछ समय के लिए पृथ्वी पर आते हैं और विसर्जन के बाद वापस अपने लोक को लौट जाते हैं।
क्या गणेश की छोटी मूर्तियों को स्थायी रूप से घर में रखा जा सकता है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि मूर्ति की विधिवत स्थापना की गई है, तो उसका विसर्जन निश्चित समय पर करना अनिवार्य है, अन्यथा यह दोष का कारण बन सकता है। सामान्य पूजा के लिए रखी गई मूर्तियों का विसर्जन अनिवार्य नहीं है। गणेश विसर्जन के दौरान, भगवान गणेश को जल में प्रवाहित कर जीवन के चक्र का प्रतीक दर्शाया जाता है, जो प्रारंभ और अंत को इंगित करता है।
Discover more from Noida Views
Subscribe to get the latest posts sent to your email.