भारत में शारीरिक निष्क्रियता बढ़ती चुनौती: स्वस्थ जीवनशैली और जीडीपी सुधार के लिए बड़े कदमों की आवश्यकता

नोएडा। दिव्यांशु ठाकुर 

स्वस्थ जीवनशैली के लिए पौष्टिक आहार और व्यायाम अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। हाल की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में शारीरिक निष्क्रियता तेजी से बढ़ रही है। डालबर्ग की स्टेट ऑफ स्पोर्ट्स एंड फिजिकल एक्टिविटी (SAPA) रिपोर्ट के अनुसार, 15.5 करोड़ भारतीय वयस्क और 4.5 करोड़ किशोर शारीरिक रूप से कम सक्रिय हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की गाइडलाइंस के अनुसार, वयस्कों को प्रति सप्ताह 150-300 मिनट की मध्यम स्तर की एरोबिक गतिविधि या 75-150 मिनट की तीव्र शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए। लेकिन इस दिशा में अधिकांश भारतीय फेल हो रहे हैं।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि महिलाओं और लड़कियों में शारीरिक गतिविधि की कमी पुरुषों की तुलना में अधिक है। शहरी क्षेत्रों में एक तिहाई महिलाएं WHO के दिशा-निर्देशों को पूरा नहीं कर पा रही हैं। शारीरिक निष्क्रियता के कारण डायबिटीज, हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर जैसी क्रोनिक बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। किशोरों में बढ़ती शारीरिक निष्क्रियता भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकती है। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि यदि भारत की पूरी आबादी 2047 तक शारीरिक रूप से सक्रिय हो जाए, तो देश की जीडीपी में 15 ट्रिलियन रुपये का इजाफा हो सकता है, और स्वास्थ्य सेवाओं की लागत में 30 ट्रिलियन रुपये की बचत की जा सकती है।


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