हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा ने बहुमत प्राप्त कर लिया है, जबकि कांग्रेस को 35 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है। इस बार कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें से एक प्रमुख कारण पार्टी के अंदर चल रहे मतभेद हैं, खासकर पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा के बीच।
भूपेंद्र हुड्डा, जो हरियाणा में कांग्रेस के प्रमुख जाट नेता हैं, लंबे समय से पार्टी का चेहरा बने हुए हैं। हालांकि, कुमारी शैलजा भी सीएम पद की दौड़ में शामिल हैं और दलित राजनीति का प्रमुख चेहरा मानी जाती हैं। उनके बीच चल रही खटपट ने चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी की एकजुटता को प्रभावित किया। कुमारी शैलजा ने चुनाव प्रचार में संकेत दिए थे कि उनका नाम सीएम पद के दावेदारों में है, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई।
चुनाव से पहले, कुमारी शैलजा ने पार्टी आलाकमान से मुलाकात भी की थी, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वह सीएम पद के लिए गंभीर हैं। भूपेंद्र हुड्डा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “लोकतंत्र में हर किसी का अधिकार है, लेकिन सीएम चुने जाने की प्रक्रिया होती है।” इन राजनीतिक मतभेदों ने न केवल पार्टी के अंदर असंतोष को जन्म दिया, बल्कि चुनाव में भी कांग्रेस के लिए चुनौती बन गए। अब देखना होगा कि कांग्रेस इन चुनौतियों का सामना कैसे करती है और पार्टी के भीतर एकता को कैसे बहाल करती है।
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