छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है, इस साल 30 अक्तूबर (बुधवार) को मनाई जाएगी। यह पर्व दीपावली से एक दिन पहले आता है और इस दिन भी दीप जलाने की परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार, छोटी दिवाली के दिन कुल 14 दीपक जलाने की परंपरा है, जिसमें विशेष रूप से कुछ दीयों का महत्व है।
14 दीपकों की परंपरा
छोटी दिवाली के दिन प्रत्येक परिवार को निम्नलिखित स्थानों पर दीपक जलाने की सलाह दी जाती है:
- यमराज के लिए: एक दीपक यमराज के निमित्त जलाया जाता है।
- मां काली के लिए: दूसरा दीया मां काली के सम्मान में जलाया जाता है।
- भगवान श्री कृष्ण के लिए: तीसरा दीया भगवान श्री कृष्ण के लिए होता है।
- मुख्य द्वार: चौथा दीपक घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है।
- पूर्व दिशा: पांचवा दीपक घर की पूर्व दिशा में जलाया जाता है।
- मां अन्नपूर्णा के लिए: छठा दीपक रसोई में मां अन्नपूर्णा के लिए जलाया जाता है।
- छत पर: सातवां दीया घर की छत पर जलाया जाता है।
- तुलसी के लिए: आठवां दीपक तुलसी माता के लिए जलता है।
बचे हुए अन्य दीपक आप अपने घर की बाल्कनी या सीढ़ियों के आस-पास रख सकते हैं।
दीयों के जलाने की विधि
छोटी दिवाली के दिन दीयों को सरसों के तेल में जलाने की परंपरा है। ध्यान रखें कि घर के मंदिर के आगे जलने वाले दीपकों की संख्या अलग होनी चाहिए। सबसे पहले अपने इष्ट देवता या घर में स्थापित देवी-देवता के आगे घी का दीपक जलाएं, इसके बाद 14 दीयों को घर के विभिन्न स्थानों पर रखें।
ध्यान रखने योग्य बातें
दीप जलाते समय इस बात का ध्यान रखें कि दीपक को ऐसी जगह रखा जाए जहां गलती से भी किसी का पैर न लगे। यह न केवल परंपरा का पालन करता है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि भी लाता है।
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