छठ महापर्व, जो खासतौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है और चार दिनों तक चलता है। इस पर्व के तीसरे दिन, यानी कार्तिक माह की षष्ठी तिथि पर, डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है।
हिंदू धर्म में उगते सूर्य को अर्घ्य देना सामान्य होता है, लेकिन छठ पूजा में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे एक विशेष मान्यता है। कहा जाता है कि जब सूर्य अस्त होते हैं, तो वे अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं। इस समय सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में चल रही समस्याएं दूर होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
साथ ही, डूबते सूर्य को अर्घ्य देना यह प्रतीक है कि जीवन में मेहनत और तपस्या के बाद फल की प्राप्ति का समय आता है। यह दिखाता है कि जीवन के हर उत्थान के बाद पतन और हर पतन के बाद एक नया सवेरा होता है। इस दिन व्रति तालाब या नदी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं, जिससे जीवन में ऊर्जा और संतुलन बना रहता है।
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