Women’s Day 2025: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को भारत में मनाया जाने वाला है। मगर इस से पहले, महिलाओं के जीवन के विभिन्न चरणों में स्वास्थ्य संबंधी मुख्य चुनौतियों को समझना आवश्यक है। किशोरावस्था से लेकर मातृत्व, रजोनिवृत्ति और उसके बाद तक, महिलाओं के शरीर में हार्मोनल और शारीरिक परिवर्तन होते हैं, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देते हैं। डॉ. शेली (मित्तल) महाजन, लैब डायरेक्टर, महाजन इमेजिंग लैब्स, कहती हैं, “नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और समय पर चिकित्सा परामर्श से महिलाएं अपनी सेहत की सुरक्षा कर सकती हैं।” आइए जानते है पूरी खबर। अधिक जानकारी के लिए खबर को अंत तक जरूर पढ़े।
Women’s Day 2025: किशोरावस्था से मातृत्व तक इन बिमारियों से हो सकते परेशान
किशोरावस्था में लड़कियों को पीरियड्स में अनियमितता, हेवी ब्लीडिंग, पीसीओएस जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। इस दौरान एनीमिया और हड्डियों की कमजोरी भी आम होती है। महिलाओं को इस उम्र में हीमोग्लोबिन, विटामिन डी और कैल्शियम की जांच करवानी चाहिए। मातृत्व के दौरान हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी, गर्भकालीन मधुमेह, प्री-एक्लेम्पसिया जैसी समस्याएँ देखी जाती हैं। डॉ. नैन्सी नागपाल, सलाहकार स्त्री रोग विशेषज्ञ, सलुब्रिटास मेडसेंटर, कहती हैं, “इस दौरान रक्त परीक्षण, पैप स्मीयर, स्तन कैंसर जांच और हॉर्मोनल प्रोफाइल टेस्ट ज़रूरी हैं।”
मेनोपॉज़ और उसके बाद का स्वास्थ्य बेहद आवश्यक
इसके अलावा Women’s Day 2025 के मौके पर बात अगर महिलाओं की करें तो मेनोपॉज़ से पहले महिलाएं अनियमित मासिक धर्म, हड्डियों की कमजोरी, वजन बढ़ना और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं का सामना करती हैं। इस दौरान बोन डेंसिटी टेस्ट, शुगर और थायरॉइड जांच आवश्यक है। रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में दिल की बीमारियाँ, अल्जाइमर और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। नियमित हृदय परीक्षण, कोलेस्ट्रॉल और कोलोनोस्कोपी जांच महिलाओं के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जीवन के हर चरण में जागरूकता और नियमित जांच से महिलाएं स्वस्थ जीवन जी सकती हैं।