लॉकडाउन के इफ़ेक्ट अब मीडिया हाउस पर दिखने शुरू, तालाबंदी होने लगी है।

ग्रेटर नॉएडा : कोरोना के इफ़ेक्ट अब मीडिया हाउस पर भी देखने लगे है. पत्रकार नौकरियां खो रहे हैं। एक दिन आप चैनल देखते हैं और अगले दिन आप सुनेंगे कि उसने संचालन बंद कर दिया है। देश के प्रधानमंत्री भी मीडिया के लोगों को कोरोना योद्धाओं की उपाधि देते हैं और बोलते हे कि कोई ना इनकी छटनी करेगा ना कोई संस्थान से बाहर करेगा। लेकिन प्रधानमंत्री की बातों को मीडिया मालिकों ने बिल्कुल भी गंभीरता से नही लिया है। इसका उदाहरण हैं पत्रकारों की लगातार होती छटनी और उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाना।

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मीडिया हाउस मालिकों की भी बहुत परशानी हे। उन्हें भी काम नहीं मिल रहा है कोरोना महामारी की वजह से लोगो के काम बंद हे तो उन्होंने विज्ञापन देने बंद कर दिया है। तो उनके लिया ज्यादा लोगो की सैलरी और किराया देना मुश्किल हो गया हे। तो मीडिया हाउस मालिकों के पास दो ही विकल्फ होते हे या तो वो संचालन बंद करे या फिर स्टाफ कम करे। अब बहुत अखबारों का प्रिंट होना बंद हो गया है या तो वो डिजिटल पब्लिश हो रहे या उन्हें बंद हे कर दिया गया है।

ऐसे ही बहुत से अख़बार बंद हो गए. इंडियन एक्सप्रेस और बिज़नेस स्टैंडर्ड अख़बार ने पत्रकारों की सैलेरी में कटौती की बात की है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया अख़बार ने संडे मैग्ज़ीन की पूरी टीम को निकाल दिया था। राष्ट्रीय स्तर की एक न्यूज़ एजेंसी ने अपने यहाँ काम करने वालों को सिर्फ़ 60 फ़ीसदी सैलरी देने की घोषणा की है। हिन्दुस्तान टाइम्स मराठी 30 अप्रैल से प्रकाशन बंद हो गया है और संपादक समेत पूरी टीम को घर बैठने के लिए कह दिया गया है। आउटलुक मैग्ज़ीन ने भी प्रकाशन बंद कर दिया है। साथ ही उर्दु का अख़बार नई दुनिया और स्टार ऑफ़ मैसूर अख़बार बंद हो गयें। दिल्ली-एनसीआर से चलने वाले न्यूज़ चैनल ‘न्यूज़ नेशन’ ने 16 लोगों पर आधारित अंग्रेज़ी डिजिटल की पूरी टीम को नौकरी से निकाल दिया है। इसी को देखते हुए संस्थान को कड़े निर्णय लेने पड़े हैं।
और बहुत जल्दी ही ऐसे और भी अख़बार और वेबसाइट बंद होने वाली है। ज्यादातर अख़बार और न्यूज़ वेबसाइट की आय विज्ञापन ही होती है। और उन्हें जल्दी विज्ञापन नहीं मिला तो उन पे भी तालाबंदी का खतरा मंडरा रहा है।

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