ग्रेटर नोएडा । कपिल चौधरी
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में आए दिन घोटालों की शिकायत होती रहती है। प्राधिकरण के लिए घोटाले आम बात हो चुके हैं। सबसे ज्यादा घोटाले किसान आबादी के प्लॉटों पर हो रहे है। कहीं बैक लीज के नाम पर, कहीं शिफ्टिंग के नाम पर, तो कहीं कोर्ट आर्डर के नाम पर 10 परसेंट आबादी प्लॉट के नाम पर घोटालों की भरमार हो चुकी है।
ऐसे ही एक घोटाले की शिकायत हुई है। जिसमें शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि खैरपुर गुर्जर में लीज बैक के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ है। खसरा नंबर 170,187, 268 ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कब्जा प्राप्त भूमि है। इन खसरा का ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा 2008 में अधिग्रहण किया गया था। उस समय ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा खैरपुर गुर्जर की समस्त भूमि का सयुंक्त सर्वे कराया था। इसकी पुष्टि अपर जिलाधिकारी( भू अर्जन) ने अपने पत्रांक संख्या 16 में की है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सर्वे रिपोर्ट पत्रांक संख्या 16 के अनुसार खसरा संख्या 187 में केवल एक पेड़ सफेदा व दों नीम के पेड़ थे। कोई आबादी नहीं थी। खसरा नंबर 268 में कोई आबादी नहीं थी। खसरा संख्या 269 डेढ़ मीटर का खदान था। कोई आबादी नहीं थी और खसरा संख्या 455 में भी कोई आबादी नहीं थी। शासनादेश 24-04-2010 व आबादी नियमावली 2011 के अनुसार उसी भूमि की आबादी की लीज बैक की जाएगी। जिसमें अधिग्रहण के समय आबादी होगी यानी आबादी की लीजबैक के लिए आबादी विद्वान होना आवश्यक है।
एक ही किसान को बार-बार दिया गया आबादी लीज बैक का लाभ
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने नियमों के विरुद्ध खसरा संख्या 187 में 0.6000 हेक्टेयर भूमि आबादी की लीजबैक के नाम पर बोर्ड बैठक 88 में छोड़ी गई। जबकि इस भूमि पर कोई आबादी नहीं थी। ऐसा ही दूसरा मामला खसरा नंबर 268 में 0.1011 हेक्टेयर भूमि आबादी की लीजबैक के नाम पर बोर्ड बैठक 88 में छोड़ी गई। इस भूमि पर भी कोई आबादी नहीं थी। तीसरा मामला खसरा नंबर 269 में 0.6817 हेक्टेयर भूमि आबादी की लीजबैक के नाम पर बोर्ड बैठक 88 में छोड़ी गई। जबकि इस भूमि पर डेढ़ मीटर गहरा खदान था और चौथा मामला खसरा नंबर 455 में 0.1701 हेक्टेयर भूमि आबादी की लीजबैक के नाम पर बैठक 101 में छोड़ी गई। जबकि इस भूमि पर भी कोई आबादी नहीं थी।
यह समस्त कृषि भूमि आबादी के नाम पर छोड़ी गई है जो कि नियमों के विरुद्ध है आबादी का बार-बार लाभ दिया गया। जो कि नियमों के बिल्कुल विरुद्ध है। शिकायतकर्ता का कहना है कि लीज बैक के नाम पर यह सबसे बड़ा घोटाला है कृषि भूमि की लीज बैक कर के शिफ्ट कर दी गई। शिफ्टिंग के नाम पर फर्जी निर्माण के लाखों रुपए प्राधिकरण से फर्जी तरीके से प्राप्त कर ली है। जबकि शिफ्टिंग पॉलिसी आज तक शासन में विचाराधीन है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी इसका संज्ञान लेते हुए इन आरोपों की जांच करानी चाहिए और दोषियों पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए।
Discover more from Noida Views
Subscribe to get the latest posts sent to your email.