सदर सब रजिस्ट्रार कैम्पस में वार्षिक चुनाव का बिगुल बज चुका है। चुनावी संग्राम 2023

ग्रेटर नॉएडा।

सदर सब रजिस्ट्रार कैम्पस में वार्षिक चुनाव का बिगुल बज चुका है। 14 तारीख को नामांकन और 17 तारीख को चुनाव है। अध्यक्ष पद के लिए एक तरफ से एडवोकेट अनिल भाटी मैदान में हैं तो दूसरी तरफ रोहतास नागर मैदान में हैं। जोकि पेशे से डीड राइटर हैं। जहां अनिल भाटी को पूर्व अध्यक्ष अजय शर्मा, मुकेश शर्मा, जगदीश भाटी, विजय शर्मा और डा दीपक कुमार शर्मा जैसे लोगो के साथ साथ कैम्पस के अधिवक्ता एवं डीड राइटर साथियों का समर्थन, विश्वास और आशीर्वाद प्राप्त है। तो वहीं रोहतास नागर, रणवीर नागर, योगेश नागर, अनुराग नागर, रघुराज भाटी आदि का समर्थन, विश्वास और आशीर्वाद प्राप्त है।
हमारे संवाददाता ने पिछले लगभग एक महीने में कैम्पस के ज्यादातर लोगो का मन टटोला, उनसे औपचारिक बात की, तो जनता के रुख का पता चला और कई ऐसे तथ्य सामने आए, जिनका जनसामान्य को जानना जरूरी है।

पूरे कैम्पस का ये मानना था कि पिछले दो वर्षो में ,पहले डा दीपक कुमार शर्मा के कार्यकाल में और फिर अनिल भाटी के कार्यकाल में, जितने विकास कार्य हुए और जितना कैम्पस के बारे में सोचा गया। उतना पहले कभी नहीं सोचा गया। जब डा दीपक कुमार शर्मा के कार्यकाल के विकास कार्यों के बारे में पूछा गया। तो कैम्पस के कई नए पुराने लोगो ने सिलसिलेवार ढंग से, उनके द्वारा कराए गए कार्यों का विस्तृत ब्योरा दिया। उन्होंने बताया कि डॉक्टर पहला आदमी था। जिसने अपने पैसे से पूरा कैम्पस पुतवाया, पेंट करवाया, कई कई मजदूर लगा के रात दिन एक करके, कैम्पस की छतो पे बरसो से जमा कूड़ा सफा करवाया। अपने पैसे से पूरे कैम्पस में टाइल बिछवाई, गेट के बाहर पार्क बनवाया, बैठने को बेंच गिरवाई, कूड़ा फैंकने को कूड़े दान रखवाया। इसी बीच एक अन्य आदमी बात काटता हुआ बोला की भैया सबसे बड़ी बात, डाक्टर ने लायब्रेरी बनवाई और वो भी ऐसी की जिसमे साठ सत्तर आदमी एक साथ बैठ सकें।, मीटिंग कर सकें, जिसमे कुछ भी कार्यक्रम अच्छे से हो सके कैम्प लग सके। तभी एक अन्य वकील साहब बोले की उसकी पढ़ाई लिखाई की दाद देनी पड़ेगी भाई की डूब छेत्र उनसे पहले के कार्यकाल में बंद हुआ था और डाक्टर ने रात दिन एक करके उसे अंग्रेजी हिंदी लिखके, हर अफसर सु मिलके यह तक की चीफ सेक्रेटरी तक पहुंच गया। डी एम ने फिर बंद करवा दिया। नही तो भैया डॉक्टर ने तो एक बेर कू डूब खुलवा ही दिया था। चर्चा सुनके उसमे और भी कई लोग सम्मिलित हो गए और उन्ही में से एक ने कहा की हम बतावेंगे भैया डॉक्टर को सबसे बड़ा काम वाने भैया जो यू , ऑफिस की वसूली रुकवाई ही यू वाको इतनो हिम्मत वालो कोम हो, के आज पूरो कैम्पस वा बात को मजो मार रहयो है। ऐसी बात नो है की पैसा पूरी तरह से बंद हो गो है, या अब जावे ई नो है पर ऊ जो सोंज होते ई फोन आ जाय करे ओ के कहां रह गो, पैसा दे के जा। ऊ बात अब नो है। वहां बैठी एक महिला सदस्य ने बताया की भैया जिंदगी में पहली बार, डॉक्टर ने कैम्पस की सब लेडिस को सम्मान करो। वाकी दी हुई शील्ड, आज तक मेरे घर पे धरी है। एक बुजुर्ग डीड राइटर ने बताया की डॉक्टर ने घर घर जाके बुजुर्गो का और पूर्व अध्यक्षों का सम्मान किया, उन्हे चादर भेंट की, सम्मान पत्र दिए. खूब करो भैया वाने तो या कैम्पस कू और सबको दिशा दिखाने का भी काम किया की अध्यक्ष को कैम्पस के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से कैसे काम करना चाहिए।

हमारे संवादाता ने कहा की, विपक्षी तो प्रचार कर रहे है की, इस ग्रुप ने तो जीपीए रुकवा दी। इस पर वहीं बैठे एक व्यक्ति ने ऐसे तर्क दिए की हमे मानना पड़ा की, विरोधी सिर्फ भ्रम फैला रहे है और उनकी बातो में दूर दूर तक कोई तर्क नहीं है। उसने बताया की भाई, यहां फुटकर काम तो डूब का कोई भी कर लेता है पर जिन आठ दस लोगो का डूब का बड़ा काम रहा है। उनमें से एक सुमित शर्मा का ऑफिस है। तो अपने और अन्य के काम सुचारू रूप से चलाने के लिए पहले तो डॉक्टर ने डूब की रजिस्ट्री खुलवाई और फिर जब डी एम और सरकार के अड़ियल रवैए से उन पर रोक लगी। तो फिर जीपीए के माध्यम से लोगो का काम चलवाया कोई ऐसा स्टेप तो ले ही नही सकता। जिससे उसका खुद के काम पे असर पड़े। अरे ये तो जग जाहिर है की गाजियाबाद में काफी समय से बाहर की जीपीए हो रही थी। एक साल में किसी रजिस्ट्रार ऑफिस में तीस हजार के आस पास डॉक्यूमेंट होते है वहां 77000 सिर्फ जीपीए ही हो गई। बगल में नोएडा में भी एक साल में दस हजार के आस पास जी पी ए हुई। तो जब अति हो गई तो सरकार की इस पर नजर पड़ी और सरकार ने एस आई टी बना के जांच गठित कर दी और जीपीए पर प्रतिबंध लगा दिया। इसमें यहां के किसी आदमी का रोल कहां से आ गया।

अनिल भाटी की कर्तव्य परायणता, उसका मृदुल व्यवहार, सबको साथ लेकर चलने की सोच, कैम्पस के हित की सोच, उसकी टीम की मजबूती, टीम के सभी सदस्यों की त्याग की भावना और एक जुटता और सिर्फ एक लक्ष्य पर ध्यान, उसकी टीम के प्रचंड जीत के कारण सिद्ध होंगे।

अनिल भाटी कैंप के लोग बताते कि इस बार तो एक व्यक्ति के स्वार्थ के चलते अनिल भाटी और उनकी टीम सांख्य बल में कम साथियों को उनका हक नही दिला सकी। पर चुनाव जीतते ही, कैम्पस के सभी लोगो की राय शुमार कर, दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करवाएगी। कि दो तीन या पांच साल बाद नही बल्कि 2024 का अध्यक्ष गुर्जर या ब्राह्मण न होकर अन्य समाज से होगा। फिर चाहे वो मेघराज भाटी या भ्रुगराज रावल हो निगम या बाघपुरिया हो, उदयपाल मल्लिक या तालान हो, मुस्तफा या भूरे खान हो देवेंद्र सक्सेना या अरविंद श्रीवास्तव हो या कोई और।

साथ ही, यमुना अथॉरिटी से पांच सौ प्लॉट की को ऑपरेटिव सोसायटी आवंटन अपनी एडवोकेट एवं डीड राइटर एसोसिएशन के नाम कराने के जो प्रयास जारी हैं, उन्हे फाइनली आवंटित कराने की प्रक्रिया कराई जाएगी।

उपरोक्त लेख में जिन भी लोगो ने हमसे बात की वो खुलकर हमसे इसीलिए, बात कर सके, क्योंकि हमने उनसे वादा किया था की हम उनके नाम नही छापेंगे और इसीलिए उनके नाम नही छापे है। इस लेख में हमारा कोई भी व्यक्तिगत विचार नहीं है और हमने केवल वही लिखा, जो अधिवक्ता और डीड राइटर एसोसिएशन के सदस्यों ने हमे बताया।

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