करीब होकर भी दूर रह गए ईस्टर्न परिफेरल-यमुना एक्सप्रेस-वे, दोनों को जोड़ने के लिए नहीं बन पाया इंटरचेंज

ग्रेटर नोएडा। हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिलों से गुजरने वाला ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे यमुना एक्सप्रेस के नजदीक होकर भी दोनों की दूरियां कम नहीं हो पाई है। दोनों एक्सप्रेस-वे के जोड़ने के लिए इंटरचेंज बनाने की योजना पिछले पांच साल से अटकी हुई है। दोनों एक्सप्रेस वे के जुड़ने से आवाजाही करीब पंद्रह किमी कम हो जाएगी, लेकिन इंटरचेंज का निर्माण शुरू कराने के लिए यमुना प्राधिकरण अभी तक किसानों सहमत करने में नाकाम है।
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे और यमुना एक्सप्रेस वे पर इंटरचेंज निर्माण नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए बेहद जरूरी है। पश्चिम उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा के कई जिलों से आने वाले यात्री इन दाेनों एक्सप्रेस वे के जरिये बहुत कम समय में एयरपोर्ट तक पहुंच सकेंगे। एयरपोर्ट के लिए दिल्ली के अलावा पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड के 45 जिलों में यात्रियों की अनुमानित संख्या को लेकर सर्वे कराया गया था। 2024 में एयरपोर्ट से यात्री सेवाएं शुरू होनी है। इससे पहले इंटरचेंज का निर्माण करने के लिए प्रयास हो रहे हैं। प्राधिकरण ओएसडी शैलेंद्र भाटिया का कहना है कि इंटरचेंज का निर्माण कार्य जल्द शुरू हो जाएगा।
इंटरचेंज निर्माण के लिए 2019 में दिया था ठेका
इंटरचेंज निर्माण के लिए यमुना प्राधिकरण ने दिल्ली की देव एस कंपनी को 2019 में ठेका दिया था। कंपनी को चार क्लोवर लीफ और आठ रैंप बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। 80 करोड़ की लागत से कंपनी को 18 माह में निर्माण कार्य पूरा करना था, लेकिन काम ही शुरू नहीं हो सका। परियोजना की लागत अब बढ़ चुकी है।


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