ग्रेटर नोएडा। कपिल तोंगड़
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले गावों का हाल बेहाल है। गावों में सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है नाम मात्र के लिए सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं। गावों की सफाई सिर्फ फोटो और कागजों में हो रही है अन्यथा गावों में नालियों का बुरा हाल है। रास्तों पर गंदगी के ढेर है सफाई कर्मचारी सफाई का काम शुरू करने से पहले दो जगह झाड़ू मार के फोटो खींचकर ठेकेदार और अधिकारियों को भेजकर चलते बनते हैं। एसी कार्यालय में बैठे अधिकारियों को इतनी फुर्सत नहीं कि कभी गांव में जाकर के सफाई व्यवस्था देखी जाए सिर्फ दो फोटो देखकर अधिकारी संतुष्ट हो जाते है। ठेकेदार और अधिकारी मिलकर के इस भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।
ना फॉकिंग ना लार्वा का छिड़काव
सीजन के बदल जाने से मच्छरों का प्रकोप बहुत ज्यादा बढ़ चुका है। जिसने गावों में रहने वाले लोगों की जिंदगी दुर भर कर रखी है प्राधिकरण की तरफ से गांव में फागिंग और लार्वा का छिड़काव किया जाता था। लेकिन इस बार अभी तक भी खेड़ी गांव में ना ही फागिंग की गई है और ना ही लार्वा का छिड़काव नालियों में किया गया है। बीमारियां फैल रही है लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का स्वास्थ्य विभाग अपने में मस्त है उसको किसी की बीमारी से कोई लेना-देना नहीं।
10 हज़ार की आबादी पर मात्र तीन सफाई कर्मचारी नजर आते हैं
खेड़ी गांव की लगभग 10 हज़ार आबादी है और गांव में मात्र तीन सफाई कर्मचारी नजर आते हैं वह भी बमुश्किल महीने में दो बार ही खानापूर्ति करके चले जाते हैं। अगर नालियों से कीचड़ निकाल दिया जाता है तो फिर उसे उठाने के लिए हफ्तों तक नहीं आते। वह दोबारा से नालियों में ही चला जाता है ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को सफाई ठेकेदारों की जांच करनी चाहिए और गांव में स्थलीय निरीक्षण समय समय पर करना चाहिए। गांव की आबादी के अनुसार सफाई कर्मचारी उपलब्ध होने चाहिए।
जिससे गांव में रहने वाली आबादी का जीवन भी सुगम हो। सफाई गांव में रहने वाली आबादी का भी हक है। अधिकारी, ठेकेदार और सफाई कर्मचारियों के मोबाइल नंबर में जगह-जगह लगाने चाहिए जिससे कि सफाई ना होने पर गांव के लोग आसानी से ठेकेदार और अधिकारियों से संपर्क कर सके।