देश में पहली बार: ड्रोन से ब्लड बैग की डिलीवरी, i-drone ग्रेटर नोएडा से दिल्ली ले गया 10 यूनिट, अब होगी रिसर्च

ग्रेटर नोएडा। ड्रोन से वैक्सीन पहुंचाने के बाद अब खून की थैली (ब्लड बैग) पहुंचाए जाने को लेकर भी ट्रायल शुरू हो गया है।
इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के सहयोग से बुधवार को ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) और दिल्ली स्थित लेडी हार्डिंग अस्पताल की टीम ने इस पर अध्ययन शुरू किया है।
इसके तहत देश में पहली बार जेपी इंस्टीट्यूट ऑ्फ इन्फार्मेशन एंड टेक्नोलाजी (जेआईआईटी) के परिसर से दिल्ली स्थित लेडी हार्डिंग अस्पताल 10 यूनिट ब्लड पहुंचाया गया।
अब टीम अलग-अलग चरणों में अध्यन कर यह पता लगाएगी कि ब्लड को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के दौरान इसकी गुणवत्ता पर क्या असर पड़ता है। इसे मेडिकल क्षेत्र में क्रांति के रूप में देखा जा रहा है।
बुधवार को आईसीएमआर की ओर से जेआईआईटी में ड्रोन में ब्लड के बैग रखकर उसे लेडी हार्डिंग अस्पताल पहुंचाया गया।
आईसीएमआर के सहयोग से जिम्स और लेडी हार्डिंग की टीम इस पर अध्ययन कर रही है। इसमें देखा जाएगा कि ड्रोन के वाइब्रेशन और ऊंचाई पर उड़ने से हवा के दबाव से रेड ब्लड सेल, फ्रोजन प्लाज्मा और प्लेटलेट्स पर किस तरह का असर पड़ेगा।
ऐसे होगा अध्ययन
सुबह सात से आठ बजे तक ब्लड बैग के रक्त की गुणवत्ता की जांच कर उसका अध्ययन किया जाएगा। इसके लिए जिम्स और लेडी हार्डिंग से सड़क मार्ग से ब्लड बैग जेपी कालेज भेजा जाएगा। इसके अलावा जेपी कालेज में ब्लड बैग को ड्रोन में रखकर परिसर के अंदर ही अलग-अलग समय के लिए उड़ाया जाएगा।
इन तीनों सैंपल में प्लाज्मा, प्लेटलेट्स, व्हाइट ब्लड सेल व रेड ब्लड सेल का अध्ययन किया जाएगा। इन चारों कंपोनेंट को अलग-अलग तापमान माइनस चार से लेकर माइनस 40 डिग्री तक पर रखा जाता है।
अध्ययन के दौरान रक्त के हर कंपोनेंट की 30-30 यूनिट का गुणवत्ता परीक्षण किया जाएगा। अब तक अलग-अलग 15 यूनिट का परीक्षण किया जा चुका है। आईसीएमआर ने आईआईटी दिल्ली से एक ड्रोन तैयार कराया है। तीन महीने में नीति आयोग को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। अध्ययन में जांचा जाएगा कि खून के हेमालायसिस में कोई अंतर तो नहीं आ रहा, आर्गेनिज्म पैदा तो नहीं हो रहे।


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