ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कुछ विभागों में रिश्वतखोरी अपने चरम पर है विभागों में काम करने वाले बाबुओं ने रिश्वतखोरी की सारी सीमाएं लांग दी है। मानो ऐसा लगता है कि प्राधिकरण की तरफ से इन्हें तनखा नहीं मिलती है यह सिर्फ रिश्वत के लिए ही रखा गया है बिना पैसे लिए आपको कोई सूचना तक यह नहीं देते है बाबुओं की रिश्वत की चर्चा खुलेआम है। समय-समय पर अधिकारियों के विभाग बदलते रहते हैं लेकिन प्राधिकरण में बाबूओ के विभाग कभी नहीं बदलते हैं जिस कारण यह लोग उस सीट को अपनी जागीर समझ लेते हैं और खुलेआम मनमानी करते हैं।
ट्रांसफर कि 50-70 रुपए मीटर रिश्वत फिक्स
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सभी प्रकार के TM के ट्रांसफर के नाम पर बाबुओं ने 50-70 रुपए मीटर रिश्वत फिक्स कर रखी है। सभी कामों की रेट अलग-अलग है आपकी फाइल कंप्यूटर पर बननी तभी शुरू होगी। जब आप रिश्वत का पैसा दे दोगे अन्यथा आपकी फाइल 20 से 25 दिन बाद होगी, बाबुओं का आम आदमी के साथ व्यवहार बहुत गलत है यह लोग तमीज में बात नहीं करते हैं हर फाइल में इन्हें नोट दिखाई देते हैं।
सालों से जमे है एक ही विभाग में
सभी विभाग के ज्यादातर बाबू सालों से एक विभाग में जमे हुए हैं इसका क्या कारण है यह भी सोचने वाली बात है जो कर्मचारी सालों से एक ही विभाग में जमा रहता है वह वहां अपना गड बना लेता है खुलेआम रिश्वतखोरी करता है अधिकारी बदलते रहते हैं लेकिन बाबू नहीं बदलते।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में अधिकारियों के रिश्वत के मामले देखने को नहीं मिलते हैं अधिकारी अपने स्तर पर किसी फाइल को भी रुकते नजर नहीं आते हैं लेकिन बाबुओं का बुरा हाल है बाबू प्राधिकरण की छवि को धूमिल कर रहे हैं खुलेआम रिश्वत मांगते हैं इन बाबुओं के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इतनी बड़ी संस्था की छवि बाबू धूमिल कर रहे हैं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को इसका संज्ञान लेना चाहिए। कार्रवाई की जानी चाहिए जिससे कि अन्य विभागों के बाबुओं के लिए भी एक मिसाल कायम हो। प्राधिकरण में बाबुओं के भी विभाग बदलने चाहिए। तभी भ्रष्टाचार पर कुछ अंकुश लगाने की कोशिश की जा सकती है अन्य अधिकारी बदलने से कुछ समय बाद फिर वही स्थिति हो जाएगी जब तक जड़ को खत्म नहीं किया जाएगा समस्या जस की तस रहेगी।
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