ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में लंबित कामों का अंबार लगा हुआ है। आए दिन सैकड़ों लोग अपने काम के लिए प्राधिकरण में आते हैं। ज्यादातर लोगों को निराशा ही हाथ लगती है। लेकिन किसी दिन तो होगा की उम्मीद को लेकर के लौट जाते हैं। इसी तरह लंबे अरसे से प्राधिकरण के चक्कर काट रहे हैं। प्राधिकरण के कर्मचारियों के साथ कभी गुस्से में वार्ता करते हैं तो कभी बेहद नरमी में। अपने कार्य पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं कार्य समय पर पूरा न होने का एक कारण प्राधिकरण अधिकारी और कर्मचारियों की कमी बताते हैं और कुछ हद तक यह है भी। अधिकारी कर्मचारियों को हटाना समाधान नहीं, बल्कि उन्हीं से कराई जाए समय सीमा में पुरानी कार्य।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर इस समय कार्य बोझ को देखते हुए प्राधिकरण में अधिकारियों और कर्मचारियों की बेहद कमी है। पूरे विभाग को दो या तीन बाबू ही संभाल रहे हैं। अगर हम बात करे भूलेख विभाग की तो यहां पर भी कंप्यूटर पर काम करने वाले बाबू की बेहद कमी है। मात्र दो या तीन लोग यहां पर कार्य कर रहे हैं यही हाल किसान आबादी विभाग का है यहां पर भी दो से तीन बाबू ही कार्य कर रहे हैं और अगर हम बात करें नियोजन विभाग की तो यहां पर भी कार्य को देखते हुए कुशल ड्राफ्टमैन ओं की कमी है। तीन से चार ड्राफ्ट्समैन ही नियोजन विभाग में कार्य कर रहे हैं उनमें से एक से दो ड्राफ्ट्समैन की कार्यशैली बेहद खराब है जिस कारण से सैकड़ों कार्य लंबित है लोग प्राधिकरण के चक्कर लगा रहे हैं।
यही हाल प्रोजेक्ट विभाग का है प्रोजेक्ट विभाग में सबसे पहले तो जीएम प्रोजेक्ट अभियंत्रण विभाग से ही नहीं है अस्थाई तौर पर चार्ज दिया हुआ है और डीजीएम प्रोजेक्ट पद काफी समय से खाली है। एक वरिष्ठ प्रबंधक दो- दो वर्क सर्किल को संभाल रहे है। प्रोजेक्ट विभाग में भी वरिष्ठ प्रबंधक, प्रबंधक, टेक्निकल पद पर कर्मचारियों की कमी है जिससे उनका भी कार्य प्रभावित हो रहा है।
अधिकारी कर्मचारियों को हटाना समाधान नहीं, बल्कि उन्हीं से कराई जाए समय सीमा में पुरानी कार्य
कार्य बोझ को देखते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में अधिकारी और कर्मचारियों की शिकायत आने पर उन्हें हटाने की बजाय उनकी काउंसलिंग कराई जाए। उनसे ही पुराने रुके हुए सभी कार्य निष्पादित कराए जाएं। अधिकारियों कर्मचारियों को हटाना कोई समस्या का समाधान नहीं है जबकि प्राधिकरण पहले ही अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी चल रही है। अधिकारियों को सख्त रुख के साथ अपने पुराने कर्मचारियों से ही कार्य कराना चाहिए।
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