ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के वित्त विभाग में भ्रष्टाचार पूरे चरम पर है। वित्त विभाग पर प्राधिकरण की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की जिम्मेदारी है लकिन उस विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने में लगे हैं। कहा जाता है कि प्राधिकरण की आर्थिक स्थिति चाहे कैसी भी रहे, लेकिन वित्त विभाग के ज्यादातर कर्मचारियों अधिकारियों के आर्थिक स्थिति बेहद मजबूत है और इस विभाग में बड़ी संख्या में ऐसे कर्मचारी हैं जिनका कभी ट्रांसफर ही नहीं हुआ। एक दशक से भी ज्यादा समय से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के वित्त विभाग में ही तैनात है।
बेहद करीबी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विभाग में ज्यादातर फाइल बिना कमीशन दिए नहीं होती है। चाहे ठेकेदार की पेमेंट की फाइल हो, या बिल्डरों की कोई फाइल हो, इंडस्ट्री की कोई कैलकुलेशन हो, किसी भी प्रकार की कोई फाइल अगर वित्त विभाग में जाती है तो बिना कमीशन दिए उस फाइल पर हस्ताक्षर नहीं होते हैं।
पेमेंट की फाइलों पर 1.5 प्रतिशत कमीशन लिया जाता है। जिसका हिसाब लेखाकार रखते हैं और इसके साथ ही भुगतान करने पर भी कमीशन लिया जाता है और आरटीजीएस करने की एज में अगर भुगतान की राशि 50 लाख तक है तो 5 हज़ार कमीशन लिया जाएगा और अगर इससे ऊपर है तो 10 हज़ार कमीशन लिया जाता है। अगर काम बिल्डर या किसी इंडस्ट्री का है तो फिर यह कमीशन की राशि लाखों रुपए में हो जाती है 5 से 10 लाख रुपए रिश्वत आम बात है और इस सभी पैसे का हिसाब लेखाकार ही रखते हैं और वही लोग इस पैसे की उगाई करते हैं।
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