ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के विभागों में आपस में स्पर्धा चल रही है काम न करने में कौन सबसे आगे रहेगा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का ऐसा ही एक विभाग है नियोजन विभाग। नियोजन विभाग किसी भी संस्था का सबसे महत्वपूर्ण विभाग होता है यही विभाग संस्था का भविष्य तय करता है। शहर के प्रत्येक विकास की नीव इसी विभाग के द्वारा रखी जाती है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का यह विभाग पिछले कुछ समय से निष्क्रिय नजर आ रहा है। ऐसा नज़र आता है की नियोजन विभाग के अधिकारियों ने ठान लिया है कि किसी भी कार्य का पूर्ण निष्पादन नहीं करना है।
प्रत्येक दिन सैकड़ो लोग पहुंचते हैं लेकिन लौटते हैं निराशा ही
नियोजन विभाग में प्रत्येक दिन सैकड़ो लोग अपनी समस्याओं को लेकर के पहुंचते हैं अपना पूरा दिन प्राधिकरण में ही व्यतीत करते हैं और शाम को थक हार के निराशा के साथ फिर लौट जाते हैं। अगले रोज फिर आते हैं नई उम्मीद के साथ लेकिन विभाग में स्थिति जस की तश ही मिलती है और यही चक्र चलता रहता है लेकिन नियोजन विभाग के अधिकारी है कि वह ठान बैठे हैं की कार्य तो करना ही नहीं है।
ज्यादातर सभी विभागों से संबंधित लोग नियोजन विभाग में जाते हैं जैसे किसान आबादी, संपत्ति विभाग, कमर्शियल, बिल्डर और औद्योगिक आदि इन सभी के कार्य नियोजन विभाग में होते हैं और यह लोग बताते हैं कि नियोजन विभाग के प्रत्येक अधिकारी आपको व्यस्त नजर आएंगे। लेकिन अगर वह अपने कार्य की रफ्तार को देखते हैं तो वह शून्य ही नजर आती है बताया जाता है कार्य सिर्फ चुनिंदा लोगों के ही होते हैं।
किसान आबादी के भूखंडों को नियोजन करने की बार-बार चर्चा होती है ग्राम वॉर लिस्ट बनाई जाती है और इन सब में महीना का समय व्यतीत होता है किसान को उम्मीद जगाने लगती है कि अब उसको उसका प्लॉट जल्दी ही मिल जाएगा। लकिन जब प्लाट लगाने की बात आती है तो कार्य की फाइल रोक दी जाती है। यह बोलकर की अभी ऊपर से अप्रूवल नहीं है लेकिन किसान को असली हकीकत का नहीं पता होता कि उसे नियोजन विभाग के अधिकारी गुमराह कर रहे हैं दबी जुबान में किसान यह बोलते नजर आते हैं की रिटायर अधिकारी के हाथों में विभाग दिया हुआ है उनके कार्य के प्रति जिम्मेदारी क्या है उनकी मंशा कार्य को खत्म करने की नजर नहीं आती है।
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