“फोर्टिस अस्पताल ने 70 वर्षीय महिला का जीवन बचाया: TAVR प्रक्रिया से सफल इलाज”

नोएडा, दिव्यांशु ठाकुर

सेक्टर-62 में स्थित फोर्टिस अस्पताल ने 70 वर्षीय महिला का सफल इलाज किया। महिला को हृदय वाल्व के सिकुड़ने की समस्या थी, जिससे उन्हें रक्त प्रवाह में रुकावट का सामना करना पड़ रहा था। इस चिकित्सा प्रक्रिया को कार्डियोलॉजी निदेशक डॉ. संजीव गेरा के नेतृत्व में दो घंटे तक चलाया गया, जिसमें ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया गया। उन्हें अस्पताल में दो दिन बाद ही स्वास्थ्यमंद अवस्था में छूट्टी दी गई, बिना किसी न्यूरोलॉजिकल और हृदय संबंधी समस्या के।

डॉक्टर संजीव गेरा ने बताया कि एक मरीज ने बार-बार हार्ट फेलियर की शिकायत की थी। उसे सांस लेने में तकलीफ होती थी, फेफड़ों में जकड़न महसूस होता था, चलने में असमर्थता थी, और उसे थकान भी महसूस होती थी। जब उसे फोर्टिस नोएडा में भर्ती किया गया, तो उसकी स्थिति और भी गंभीर हो गई। उसे सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी और वह लगभग बेहोश होने वाली थी। इसके बाद, उसे तत्काल इलाज के लिए अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में ले जाया गया। उसे एक महीने तक लगातार इंजेक्शन दिए गए जिनका उद्देश्य हार्ट फेलियर को रोकना था। उसकी स्थिति इतनी गंभीर थी कि उसके हृदय और वाल्व की स्थिति की जांच के लिए विभिन्न टेस्ट और परीक्षण किए गए। जांच में पता चला कि उसे गंभीर महाधमनी स्टेनोसिस (हृदय वाल्व में रक्त प्रवाह में रुकावट) की समस्या थी। उसके बाद, उसे एकमात्र विकल्प के रूप में हाई-रिस्क TAVR प्रक्रिया का सुझाव दिया गया और डॉक्टरों की टीम ने इसे अंजाम दिया।

डॉ संजीव गेरा ने विवरण दिया कि इस मामले में मरीज के वाल्व क्षेत्र में संकुचन हो गया था, इसलिए उन्हें TAVR वाल्व लगाना पड़ा, जिसके लिए सर्जिकल प्रक्रिया लगभग दो घंटे तक चली। उन्हें इसके लिए शॉर्ट-टर्म जनरल एनेस्थीसिया दिया गया था। यह सर्जरी उच्च जोखिम वाली थी, क्योंकि मरीज पहले से ही कई बीमारियों जैसे क्रॉनिक अस्थमा, कमजोरी, और निम्न हार्ट फंक्शन से पीड़ित थे। TAVR प्रक्रिया समय पर न की जाती तो मरीज को कार्डियक अरेस्ट या हार्ट फेलियर का सामना करना पड़ सकता था।

मरीज ने ओपन हार्ट सर्जरी की जगह TAVR प्रक्रिया का चयन किया। इसका कारण था कि मरीज के वाल्व में सिकुड़ने के कारण ओपन हार्ट सर्जरी जानलेवा साबित हो सकती थी। इस उम्र में (75 वर्ष के बाद) एक-दो प्रतिशत मामलों में गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस देखने को मिलता है। उम्र, लंबाई, पूर्ववर्ती बीमारियाँ और रोगी की नाजुक हालत के मद्देनजर, एक मल्टी-डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण अत्यंत आवश्यक था। अब सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति अच्छी है।

 

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