नोएडा। दिव्यांशु ठाकुर
नीरज चोपड़ा, जो हाल ही में पेरिस ओलंपिक 2024 में इतिहास रचने वाले पहले भारतीय ट्रैक और फील्ड एथलीट बने, ने 89.45 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता है। इस शानदार उपलब्धि के बावजूद, नीरज चोपड़ा ने खुलासा किया कि प्रतियोगिता के दौरान वह एक गंभीर चोट, ग्रोइन स्ट्रेन, से जूझ रहे थे।
नीरज के मुताबिक, उनके दिमाग में 60 प्रतिशत समय यही चलता रहा कि कहीं चोट फिर से उभर न आए। ग्रोइन स्ट्रेन की वजह से नीरज पूरी ताकत से प्रदर्शन नहीं कर पाए। उन्होंने कहा, “असली थ्रो तभी होता है जब आपके दिमाग से डर निकल जाए। इस चोट ने मुझे बहुत परेशान किया है, लेकिन मैं जल्द ही इस डर को भी मात दे पाऊंगा और देश के लिए और बेहतर प्रदर्शन करूंगा।”
ग्रोइन स्ट्रेन, जांघों के ऊपरी हिस्से में मौजूद मांसपेशियों को प्रभावित करता है। यह वह हिस्सा होता है जहां पेट का निचला हिस्सा और जननांग के आसपास की जांघों की मांसपेशियां मिलती हैं। यह समस्या खिलाड़ियों में अधिक देखी जाती है और यह बेहद दर्दनाक हो सकती है। नीरज चोपड़ा भी इसी समस्या से जूझ रहे थे, जिससे उनका प्रदर्शन प्रभावित हुआ।
इस चोट के बारे में बताते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रोइन मांसपेशियों में खिंचाव तब आता है जब इन पर जरूरत से ज्यादा दबाव डाला जाता है। जैवलिन फेंकते समय आखिरी के चरणों में इन मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे इनकी चोट का खतरा बढ़ जाता है। नीरज चोपड़ा की चोट इतनी गंभीर हो सकती थी कि इसे ठीक करने के लिए सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ सकती थी।
इसके अलावा, नीरज को एडक्टर स्ट्रेन की समस्या भी रही है, जिसके कारण उन्होंने ओस्ट्रावा गोल्डन स्पाइक 2024 में हिस्सा नहीं लिया था। एडक्टर स्ट्रेन भी खिलाड़ियों में एक आम समस्या है, खासकर फुटबॉल, सॉकर, हॉकी, और बास्केटबॉल जैसे खेलों में। यह समस्या ग्रोइन इंजरी और दर्द का एक प्रमुख कारण बनती है, जिससे पैर और कूल्हे को हिलाने में कठिनाई हो सकती है।
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