नोएडा। दिव्यांशु ठाकुर
बारह साल के रोहन के स्कूल से लगातार यह शिकायत आती थी कि वह कक्षा में एक जगह टिककर नहीं बैठता और बिना सवाल पूरा सुने ही जवाब देने लगता है। नौकरीपेशा माता-पिता के लिए उसे समझना कठिन हो रहा था, इसलिए उसकी मां रीना ने वर्क फ्रॉम होम शुरू किया। घर से काम करने के दौरान रीना ने अपने बेटे के व्यवहार में कुछ असामान्यताएं देखीं और स्कूल से मिल रही शिकायतों को समझ सकीं। डॉक्टर से परामर्श लेने पर पता चला कि रोहन एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) से पीड़ित है।
एडीएचडी एक सामान्य मानसिक विकार है, जो बच्चों के विकास को प्रभावित करता है। इस विकार से पीड़ित बच्चे ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ होते हैं, उनमें अतिसक्रियता और आवेगशीलता के लक्षण दिखाई देते हैं। आमतौर पर यह समस्या बचपन में ही ठीक हो जाती है, लेकिन कई बार यह समस्या किशोरावस्था और वयस्कता तक भी बनी रहती है। इस विकार का समय पर निदान और प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण होता है। माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका इसमें अहम होती है। बच्चों के लिए एक स्थिर, सुरक्षित और समर्थनकारी वातावरण बनाना जरूरी है, ताकि वे आत्मविश्वास के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकें।