नोएडा। दिव्यांशु ठाकुर
अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाते हुए घोषणा की है कि वह दो दिन बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे। इस कदम को उनकी छवि को बेहतर बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, खासकर जब उन पर शराब घोटाले के आरोप लगे हैं। इस घोटाले के बाद जनता के बीच उनकी और उनकी पार्टी की साख को गहरा धक्का लगा था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय में जाने और किसी महत्वपूर्ण फ़ाइल पर हस्ताक्षर करने से मना किया था, जिससे भाजपा उन पर लगातार दबाव बनाए हुए थी।
आप सूत्रों के मुताबिक, 13 सितंबर को जमानत मिलने के बाद 14 सितंबर को अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की थी और इस्तीफा देने का फैसला किया था। इस बैठक में उन्होंने पार्टी नेताओं से राय भी ली थी। ऐसा माना जा रहा है कि केजरीवाल का इस्तीफा भाजपा द्वारा उठाए जा रहे आरोपों को खत्म करने और अपनी छवि को पुनः चमकाने का एक बड़ा दांव है। पार्टी के नेता मानते हैं कि भले ही उनकी छवि को धक्का लगा हो, लेकिन केजरीवाल एक बार फिर सत्ता में वापसी कर सकते हैं।
यदि केजरीवाल इस्तीफा देते हैं, तो वे उपराज्यपाल से दिल्ली विधानसभा भंग कर चुनाव कराने की मांग कर सकते हैं, जिससे दिल्ली के चुनाव महाराष्ट्र के साथ हो सकते हैं। इस संभावित कदम को राजनीतिक चतुराई के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, भाजपा नेता हरीश खुराना का मानना है कि केजरीवाल सिर्फ इस्तीफे का नाटक कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर उन्हें सच में इस्तीफा देना होता, तो वे इसे अब तक दे चुके होते, लेकिन दो दिन की देरी यह साबित करती है कि उनके इरादे पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं।
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