नोएडा। दिव्यांशु ठाकुर
हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से नाग देवता की पूजा की जाती है। उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में इसी दिन गुड़िया का पर्व भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर गुड़िया को डंडे से पीटने की परंपरा भी निभाई जाती है। आइए जानें इस परंपरा के पीछे की कथा और इसके महत्व के बारे में।
उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में नाग पंचमी के दिन गुड़िया बनाकर उसे चौराहे या तालाब के पास रखा जाता है। इसके बाद, वहां के लोग एकत्र होकर गुड़िया को डंडे से पीटते हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर क्यों गुड़िया को पीटा जाता है? इस परंपरा के पीछे एक दिलचस्प लोक कथा है।
कहानी के अनुसार, प्राचीन काल में महादेव नाम का एक लड़का नाग देवता का असीम भक्त था। वह प्रतिदिन किसी शिवालय में जाकर भगवान शिव और नाग देवता की विशेष पूजा करता था। उसकी भक्ति और श्रद्धा से प्रसन्न होकर नाग देवता उसे प्रतिदिन दर्शन देते थे। हालांकि, कभी-कभी पूजा के दौरान नाग देवता महादेव के पैरों में लिपट जाते थे, लेकिन कभी भी उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाते थे।
एक दिन, जब महादेव पूजा में ध्यान मग्न थे, एक नाग उनके पैरों में लिपट गया। इसी दौरान महादेव की बहन वहां पहुंच गई और नाग को देखकर डर गई। उसे डर था कि नाग उसके भाई को काट सकता है, इसलिए उसने एक डंडा उठाकर नाग को पीटकर मार डाला। जब महादेव ने पूजा समाप्त की, तो उन्होंने देखा कि नाग मरा हुआ पड़ा है।
बहन द्वारा नाग के मारे जाने पर महादेव को बहुत गुस्सा आया। जब उन्होंने बहन से इसका कारण पूछा, तो उसने सच बता दिया। महादेव ने कहा कि तुमने अनजाने में नाग देवता को मारा है, इसके लिए तुम्हें सजा मिलेगी। चूंकि बहन ने अनजाने में नाग को मारा था, इसलिए प्रतीकात्मक सजा के रूप में कपड़े की बनी गुड़िया को डंडे से पीटा गया। तब से नाग पंचमी के दिन गुड़िया को पीटने की यह परंपरा चली आ रही है।
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