बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद मेघालय के सीमावर्ती गांवों में बढ़ी सुरक्षा चिंताएं, ग्रामीणों ने बढ़ाई चौकसी

नोएडा। दिव्यांशु ठाकुर

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद उत्पन्न अशांति से मेघालय के सीमावर्ती गांवों में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। पूर्वी खासी हिल्स जिले के लिंगखोंग गांव के लोग अब बांस की बाड़ को और मजबूत करने के साथ रात भर जागकर निगरानी कर रहे हैं। गांव के लोग, जो पहले ही बांस की बाड़ के सहारे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे थे, अब और सतर्क हो गए हैं। लिंगखोंग गांव, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से कुछ ही मीटर की दूरी पर स्थित है, में अधिकांश घर शून्य सीमा रेखा के बहुत करीब हैं। यहां बच्चों का एकमात्र फुटबॉल मैदान भी बीएसएफ की निगरानी में है। हालांकि, शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से गांव में कोई गंभीर घटना नहीं हुई है, लेकिन लोग असुरक्षा की भावना से जूझ रहे हैं।

गांव की एक निवासी, डेरिया खोंगसदिर, ने बताया कि पांच अगस्त को गांव में भय का माहौल था, और रातभर लोग सो नहीं सके। उनकी चिंता थी कि पड़ोसी देश से कोई खतरा उत्पन्न हो सकता है। गांव के लोग और रक्षा दल पूरी रात चौकसी में लगे रहे। बांस की बाड़ ने अब तक गांव को छोटे अपराधों से सुरक्षित रखा है, लेकिन गंभीर स्थितियों में यह कितना कारगर होगा, इसको लेकर लोग आशंकित हैं। अधिकारियों के अनुसार, सीमा की सुरक्षा के लिए शून्य लाइन पर कांटेदार तार की बाड़ लगाने के लिए भारत और बांग्लादेश के उच्च अधिकारियों के बीच चर्चा जारी है। मेघालय में 443 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगाने का काम अधिकांश क्षेत्रों में पूरा हो चुका है।


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