नोएडा। दिव्यांशु ठाकुर
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से देश को संबोधित करते हुए एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति में एक लाख ऐसे युवाओं को लाया जाएगा जिनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है। प्रधानमंत्री का मानना है कि इस कदम से जातिवाद और वंशवाद की राजनीति को खत्म करने में मदद मिलेगी और साथ ही नए विचार और क्षमताएं उभर कर सामने आएंगी।
प्रधानमंत्री ने अपने 98 मिनट के भाषण में कहा, “हम चाहते हैं कि देश के एक लाख युवा राजनीति में जन प्रतिनिधि के रूप में अपनी भूमिका निभाएं, जिनके परिवार का कोई सदस्य कभी राजनीति में न रहा हो। ये युवा पंचायत से लेकर लोकसभा तक, किसी भी स्तर पर जनप्रतिनिधि बन सकते हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह जरूरी नहीं कि वे किसी एक ही राजनीतिक दल में शामिल हों; वे अपनी पसंद के अनुसार किसी भी पार्टी में जा सकते हैं। इस पहल का उद्देश्य राजनीति में नये और ताजगी भरे विचारों को जगह देना है, जिससे देश के विकास में और तेजी लाई जा सकेगी।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के अपने विजन को भी सामने रखा। उन्होंने कहा कि यह भारत का स्वर्ण युग है और देश को अगले 23 वर्षों में एक विकसित राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं। इस दिशा में उन्होंने राजनीति से भाई-भतीजावाद और वंशवाद को समाप्त करने के अपने प्रयासों को दोहराया. इस साल स्वतंत्रता दिवस की विशेष थीम ‘विकसित भारत @2047’ रही। लाल किले पर आयोजित इस समारोह में 18,000 मेहमान शामिल हुए, जिनमें से 6,000 विशेष रूप से आमंत्रित महिला, किसान, युवा और गरीब वर्ग से थे। प्रधानमंत्री मोदी ने समारोह से पहले राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की और इसके बाद लाल किले पर ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उनके साथ उपस्थित रहे। प्रधानमंत्री की इस घोषणा ने भारतीय राजनीति में एक नई दिशा की ओर संकेत दिया है, जो कि भविष्य में एक सकारात्मक बदलाव की ओर अग्रसर हो सकती है।
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