नोएडा। साक्षी चौधरी
जन्म: 27 सितम्बर, 1907 | निधन: 23 मार्च, 1931
शहीद भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक हैं। मात्र 24 साल की उम्र में अपने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले इस वीर ने क्रांति का एक नया अध्याय लिखा। उनके जीवन के प्रेरणादायक पहलुओं को समझना आज की पीढ़ी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रारंभिक जीवन
भगत सिंह का जन्म पंजाब के नवांशहर जिले के खटकर कलां गाँव में हुआ। उनके परिवार का स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय योगदान था, जिसने भगत सिंह के मस्तिष्क में देशभक्ति की भावना को मजबूत किया। 12 वर्ष की उम्र में जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उन्हें गहरा आघात पहुँचाया। जिसके बाद उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह करने का संकल्प लिया।
क्रांतिकारी गतिविधियाँ
1921 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन का आह्वान हुआ। भगत सिंह ने पढ़ाई छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। 1928 में लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लिया। उन्होंने पुलिस अधिकारी सॉन्डर्स की हत्या की। 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने बम फेंका। हालांकी, इससे किसी को नुकसान तो नहीं हुआ, मगर उन्होंने सरकार का ध्यान आकर्षित किया।
साम्यवादी विचारधारा की ओर झुकाव
भगत सिंह ने यूरोपीय क्रांतिकारी आंदोलनों का अध्ययन किया और समाजवाद के प्रति आकर्षित हुए। उनके अनुसार, ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के लिए राजनीतिक सत्ता हासिल करना आवश्यक था। यह सोच उन्हें अन्य स्वतंत्रता सेनानियों से अलग बनाती है।
फांसी का समय
7 अक्टूबर 1930 को भगत सिंह, सुखदेव और राज गुरु को विशेष न्यायालय द्वारा मौत की सजा सुनाई गई। 23 मार्च 1931 को प्रातःकाल उन्हें फांसी दी गई। उनकी शहादत ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और उन्हें एक अमर नायक बना दिया।
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