अब लोकल मजदूर की याद आई

आर्य सागर खारी : ग्रेटर नोएडा, नोएडा में छोटे-बड़े लगभग 15,000 उद्योग इकाई हैं. कोरोना महामारी से पहले जब इन उद्योगों में रोजगार की बात आती थी तो स्थानीय बेरोजगार शिक्षित युवकों को नजरअंदाज कर बाहरी प्रवासी लोगों को स्थाई /अस्थाई रोजगार दे दिया जाता था।

कोरोना संकट के चलते प्रवासी मजदूर पलायन कर गया है छोटे बड़े चुनिंदा उद्योगों को कुछ शर्तों के साथ संचालन की अनुमति मिल गई है. अब मजदूर कहां से आए? तो यह कंपनियां स्थानीय बेरोजगार युवकों ,पहले से ही इन उद्योगों में नियुक्त स्थानीय पृष्ठभूमि के कर्मचारियों से संपर्क साध रही है. व्हाट्सएप ग्रुप फोन के माध्यम से।

स्थानीय मजदूरों युवकों ने बड़ा दिल दिखाते हुए कंपनी को घाटे से उबारने की खातिर देश की अर्थव्यवस्था की खातिर काम पर आने की स्वीकृति दे दी है।

स्थानीय युवकों को कामचोर अनुशासन हीन समझने वालों उद्यमियों प्रबंधकों को अब सबक मिल गया है| यह सच्चाई नहीं है यह मनगढ़ंत दुष्प्रचार, मिथ्या धारणा है स्थानीय मजदूरों युवकों के विषय में।

संकट के काल में स्थानीय व्यक्ति मददगार बन सकते हैं किसी भी क्षेत्र में।
स्थानीय बेरोजगार शिक्षित युवकों के विषय में कंपनियों की धारणा बदलेगी. उन्हें रोजगार मिलेगा जिन्हें रोजगार मिला हुआ है उन्हें सम्मान पदोन्नति, औद्योगिक स्वास्थ्य जोखिम भत्ता, वरीयता दिया जाएगा। बहुत कुछ सिखा कर कोरोना जाएगा।

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